10 MPs Of BSP Plan To Switch Camps Ahead Of Lok Sabha Elections 2024, Say Sources – लोकसभा चुनाव 2024 से पहले BSP के 10 सांसद पार्टी छोड़ने की तैयारी में, 4 BJP के संपर्क में : सूत्र


लोकसभा चुनाव 2024 से पहले BSP के 10 सांसद पार्टी छोड़ने की तैयारी में, 4 BJP के संपर्क में : सूत्र

बीएसपी के 10 सांसद पार्टी छोड़ने की फिराक में… (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनावों के मद्देनजर 10 सांसद बसपा (BSP) छोड़ने को तैयार बैठे हैं. सूत्रों के मुताबिक- उनमें से 4 सांसद तो बीजेपी के संपर्क में हैं जबकि जबकि 3 सांसद कांग्रेस और तीन सांसद समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं. अगर अमरोहा के बीएसपी सांसद दानिश अली की बात करें तो उन्हें राहुल गांधी का साथ मिल चुका है और अमरोहा से कांग्रेस उन्हें टिकट भी देने जा रही है. बिजनौर से बीएसपी सांसद मलूक नागर की बात करें तो वो बीजेपी के संपर्क में हैं जबकि लालगंज से सांसद संगीता आज़ाद बीजेपी के संपर्क में हैं. अफजल अंसारी को गाजीपुर से सपा ने प्रत्याशी बना ही दिया है, श्रावस्ती के बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा बीजेपी  के बड़े नेताओं से मिल चुके हैं, तो ऐसे में मायावती के अकेले बिना गठबंधन में जाकर लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण अपने भविष्य को अधर में देखते हुए ये सभी अपनी-अपनी जुगत लगाने में लगें हैं.

बीएसपी सांसदों को उम्मीद थी कि मायावती इंडी गठबंधन का हिस्सा बन जाएंगी

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इन सभी को उम्मीद थी कि आखिरी क्षणों में बसपा इंडी गठबंधन का हिस्सा बन जाएगी, लेकिन मायावती के दो दिन पहले आए बयान के बाद सभी अपने-अपने भविष्य को संवारने में तेजी से लग गए हैं. अम्बेडकरनगर के बीएसपी सांसद रितेश पांडेय बीजेपी में जाने को लेकर ताक लगाये बैठे हैं, घोषी के बीएसपी सांसद अतुल राय बीजेपी की ओर आस लगाये बैठे हैं, जौनपुर से बीएसपी सांसद श्याम सिंह यादव बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के संपर्क में हैं और बुलावे को आतुर हैं.

मायावती ने कहा था- गठबंधन से हमें नुकसान होता है

बता दें कि पिछले महीने ही बहुजन समाज पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने की घोषणा की थी. बसपा अध्‍यक्ष मायावती ने कहा था कि किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने से उन्‍हें चुनाव में चुकसान होगा. इसलिए उन्‍होंने अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. मायावती ने कहा था कि हमने उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ सरकार बनाई है. उसी अनुभव के आधार पर हम आम चुनाव में भी अकेले चुनाव लड़ेगी. हम किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. हमारी पार्टी गठबंधन न करके अकेले इसलिए चुनाव लड़ती है, क्योंकि पार्टी का नेतृत्व एक दलित के हाथ में है. गठबंधन करने पर बीएसपी का वोट विपक्षी दल को मिल जाता है, लेकिन दूसरों का वोट हमें नहीं मिल पाता. 90 के दशक में हुए गठबंधन में सपा और कांग्रेस को फ़ायदा मिला था.



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