12 घंटे बाद मिला खाना, घाट पहुंचने में 5 घंटे, गुरुग्राम में ही दिखा मिनी महाकुंभ… प्रयागराज से लौटी महिला का दर्द


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Mahakumbh Mela 2025 Ground Report: महाकुंभ मेले में स्नान के लिए प्रयागराज पहुंची श्रद्धालु रीचा जोशी ने न्‍यूज18 इंडिया के साथ अपना अनुभव साझा किया. वो बताती है कि प्रयागराज में इतनी ज्‍यादा भीड़ मौजूद है कि उ…और पढ़ें

12 घंटे बाद मिला खाना, घाट पहुंचने में 5 घंटे..प्रयागराज से लौटी महिला का दर्द

महाकुंभ गए परिवार का छलका दर्द. (News18)

नई दिल्‍ली. महाकुंभ में स्‍नान करने का मन तो हर किसी का है लेकिन प्रयागराज से आ रही ताजा तस्‍वीरें डराने वाली हैं. महाकुंभ में आस्‍था की डुबकी लगाने के चक्‍कर में लोग को 15 से 18 घंटे लंबे ट्रैफिक जाम में भूखे-प्‍यासे जूझना पड़ रहा है. एक ऐसी ही तीर्थ यात्री रीचा जोशी ने अपने अनुभवकों के बारे में न्‍यूज18 इंडिया को बताया. अपने परिवार के कुल आठ सदस्‍यों के साथ प्रयागराज पहुंची रीचा की कहानी इतनी दर्दभरी है कि उन्‍होंने भविष्‍य में ऐसी किसी आयोजन में जाने की बात से भी तौबा कर ली है. उन्‍हें 12 घंटे भूखे वक्‍त बिताना पड़ा. पांच घंटे तो केवल पैदल संगम तट तक पहुंचने में लग गए.

रीचा बताती हैं कि महाकुंभ में क्राउड इतना ज्‍यादा है कि प्रशासन को हर जगह रूट डायवर्जन करना पड़ रहा है. सामने 500 मीटर दूर जाने के लिए भी रूट डायवर्जन के कारण दो से तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है. अगर महाकुंभ में स्‍नान करना है तो कम से कम 15 से 20 किलोमीटर चलने का दम शरीर में होना जरूरी है. हमारे साथ बुजुर्ग लोग भी मौजूद थे. इतना चल-चलकर मेरे पैरों में तो छाले पड़ चुके हैं. घर आकर मैंने पैरों में ड्रेसिंग करवाई है. रीचा बताती है कि वो दिल्‍ली से कैब करके प्रयागराज पहुंचे थे. न्‍यूज में सुना था कि अब भीड़ थोड़ी कम हो गई है, तभी महाकुंभ स्‍नान का प्‍लान बनाया. लेकिन पहुंचने पर पता चला कि वहां फिर से भीड़ बढ़ गई है.

गुरुग्राम में ही दिखा छोटा महाकुंभ
रीचा ने बताया कि जब वो नौ फरवरी को घर से निकली तो उन्‍हें गुरुग्राम पहुंचने पर ही प्रयागराज के हालातों का कुछ-कुछ आभास होने लगा था. यहां के शिव ढाबे के हालात छोटे महाकुंभ की तरह थे. प्रयागराज जाने वालों की यहां बेहद भयंकर भीड़ दी. हमें चाय पीने में ही काफी वक्‍त लग गया. हमें प्रयागराज से 45 किलोमीटर पहले ही बता दिया गया कि आगे मत जाएं. ड्राइवर ने कहा मैं अंदर से आपको ले जाऊंगा. मैं अंदर के रास्‍ते जानता हूं. कैब वाले ने भीड़ के कारण 17 किलोमीटर पहले ही हमें छोड़ दिया. इसके बाद हमें आगे का रास्‍ता पैदल ही करना पड़ा.

लोकल लोगों ने की मदद
पैदल सफर करने के बाद हम सुबह साढ़े 11 बजे जैसे-तैसे प्रयागराज पहुंचे. इसके बात अभी घाट तक पहुंचने की अग्निपरीक्षा बाकी थी. यहां से आगे घाट तक पहुंचने में हमें और छह घंटे लगे. शाम साढ़े 5 बजे हम संगम तक पर पहुंचे. ई-रिक्‍शा वालों ने जाने के लिए मना कर  दिया. रास्‍ते में वहां के लोकल लोग जो ऑफिस जा रहे थे उन्‍होंने अपनी बाइक पर बैठाकर कुछ दूर आगे पहुंचाया.

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