12 december 1911 Delhi became the capital today know history
New Delhi the capital of India: देश की राजधानी दिल्ली को आज हर कोई जानता है, यहां देशभर के तमाम राज्यों से आए लोग रहते हैं और यहीं बस जाते हैं. कम ही लोग ये बात जानते हैं कि दिल्ली पहले भारत की राजधानी नहीं हुआ करती थी, दिल्ली को ये दर्जा आज से 113 साल पहले 12 दिसंबर 1911 को मिला. इससे पहले कोलकाता देश की राजधानी था. उस समय के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग्स ने 1911 में यह कहा था कि नई राजधानी दिल्ली होगी. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर दिल्ली में ऐसा क्या खास था कि दिल्ली को ही राजधानी के लिए चुना गया.
दिल्ली ही राजधानी क्यों
दिल्ली को राजधानी के रूप में चुनने के पीछे अंग्रेजों की एक बड़ी सोची समझी रणनीति थी. 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा दिल्ली में ही हुई थी. उस समय के विद्रोह को यहां दबा दिया गया था. अंग्रेजों के लिए सुरक्षा के नजरिए से दिल्ली सबसे सुरक्षित और महत्वपूर्ण शहरों में से एक था. इसके अलावा उस समय के वाइस रॉय यहीं रिज में रह रहे थे. इस समय दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति का जो ऑफिस है वह उस समय के वाइस रॉय का रेजिडेंस था.
इसके अलावा दिल्ली देश के मध्य में थी, जहां से पूरे देश में आसानी से पहुंच बनाई जा सकती थी, कोलकाता देश के पश्चिमी छोर पर स्थित थी जिसके चलते बाकी हिस्सों में पहुंचने और निगरानी करने में दिक्कत होती थी.
बंगाल विभाजन को कमजोर करने की भी सोच
बंगाल उस समय देश के स्वतंत्रता के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक बन चुका था, इसके अलावा साल 1905 में बंगाल का विभाजन के बाद स्वदेशी आंदोलन और विरोध को एक नई गति मिली. इस कारण भी अंग्रेज सरकार कोलकाता से हटाकर इस आंदोलन को दबाना चाहती थी.
किसकी सलाह पर बनी दिल्ली राजधानी
25 अगस्त,1911 को शिमला से वाइस रॉय लॉर्ड हार्डिंग का एक पत्र ब्रिटिश सरकार को जाता है जिसमें लिखा होता है कि ‘ब्रिटेन का कलकत्ता की तुलना में दिल्ली को राजधानी बनाकर राज करना बेहतर विकल्प होगा’. इसके अलावा इस पत्र में दिल्ली के मौसम का भी जिक्र किया गया था जो अंग्रेजों के लिए सही था.
भारत की राजधानी बनने के 20 सालों के बाद 13 फरवरी, 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन किया गया. यह उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने किया था. इस दौरान डाक तार विभाग ने छह डाक टिकट भी जारी किए थे. अंग्रेजों के इस नई राजधानी की पहली इमारत के रूप में पुराना सचिवालय या ओल्ड सेक्रेटेरिएट को बनाया गया. इसका डिजाइनर ई. मोनटगे थॉमस था. उसके बाद लगातार दिल्ली का नक्शा बदलता रहा. 1956 में यह केंद्र शासित प्रदेश बना और 1991 के 69 वें संशोधन में इसको राष्ट्रीय राजधानी का दर्जा दिया गया.
इसे भी पढ़ें- ज्यादा से ज्यादा कितने दिन तक की मिल सकती है पैरोल? जान लीजिए जवाब