13 अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा, ये है बड़ी वजह
<p>अमेरिका के 13 प्रमुख कॉलेज व विश्वविद्यालयों ने ट्रंप प्रशासन के एक आदेश के खिलाफ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) पर मुकदमा दायर किया है. यह आदेश रिसर्च ग्रांट से जुड़ी इनडायरेक्ट कॉस्ट के लिए आवंटित फंड को सीमित करने का प्रयास करता है. यह मुकदमा 9 फरवरी, 2025 को दायर किया गया था, और इसका उद्देश्य उन अरबों डॉलर के रिसर्च फंडिंग की रक्षा करना है, जो इन विश्वविद्यालयों का कहना है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में साइंटिफिक इनोवेशन के विकास के लिए आवश्यक है. इन विश्वविद्यालयों का दावा है कि यह आदेश पूरे देश में महत्वपूर्ण रिसर्च फ्रेमवर्क को खतरे में डाल सकता है.</p>
<p>यह मुकदमा हार्वर्ड विश्वविद्यालय को शामिल नहीं करता है, लेकिन इसमें प्रमुख विश्वविद्यालयों का एक समूह शामिल है, जिसमें आइवी लीग स्कूल और प्रमुख सार्वजनिक विश्वविद्यालयों से जुड़े संस्थान शामिल हैं. इन संस्थानों का आरोप है कि NIH का यह आदेश, जो इनडायरेक्ट कॉस्ट के लिए रिफंड में भारी कटौती करने की बात करता है, फेडरल लॉ का उल्लंघन करता है और रिसर्च और इनोवेशन में अमेरिकी नेतृत्व को खतरे में डालता है.</p>
<p><strong>रिसर्च पर खर्च कम करने को लेकर विवाद </strong></p>
<p>NIH के विवादास्पद आदेश का उद्देश्य उन अप्रत्यक्ष खर्चों में कटौती करना है, जैसे कि यूटिलिटीज, प्रयोगशाला उपकरण और रखरखाव लागत, जो रिसर्च परियोजनाओं के समर्थन के लिए आवश्यक हैं. वर्तमान में, विश्वविद्यालय NIH को रिसर्च पर खर्च किए गए हर डॉलर पर 69 सेंट तक का चार्ज करते हैं, लेकिन नए आदेश के तहत यह रिफंड केवल 15 सेंट प्रति डॉलर तक सीमित होगा. इस भारी कटौती का असर देश भर में रिसर्च प्रयोगशालाओं के संचालन पर पड़ने की उम्मीद है.</p>
<p><strong>नौकरियों पर बढ़ सकता है संकट</strong> </p>
<p>पूर्व हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डीन जेफरी एस. फ्लायर के अनुसार, इस आदेश से रिसर्च सुविधाओं में गंभीर कटौती, कर्मचारियों की छंटनी और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परियोजनाओं के बंद होने का खतरा हो सकता है. फ्लायर ने इसे ‘मूर्खता’ करार दिया और चेतावनी दी कि इससे महत्वपूर्ण रिसर्च प्रयासों को भारी नुकसान हो सकता है और कई नौकरियों का संकट पैदा हो सकता है.</p>
<p><strong>मुकदमे को लेकर कई प्रमुख शैक्षिक संघों का समर्थन </strong></p>
<p>यह मुकदमा 13 विश्वविद्यालयों ने कराया है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय शामिल नहीं है. इसके बजाय, इस मुकदमे का समर्थन प्रमुख शैक्षिक संघों द्वारा किया जा रहा है, जिनमें अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन, असोसिएशन ऑफ पब्लिक एंड लैंड-ग्रांट यूनिवर्सिटीज, और असोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज शामिल हैं.</p>
<p><strong>रिसर्च पर गंभीर लॉन्ग टर्म प्रभाव पड़ेगा</strong> </p>
<p>मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि NIH का यह आदेश, जो इनडायरेक्ट कॉस्ट पर एक समान सीमा लागू करता है, कांग्रेस के निर्देशों की अनदेखी करता है, जो प्रत्येक संस्थान की लागत संरचना को ध्यान में रखते हुए अनुदान की गणना करने की बात करता है. यह एक साइज-फॉर-ऑल अप्रोच विश्वविद्यालयों की विविध जरूरतों को कमजोर करता है. यदि यह निर्णय बरकरार रहता है, तो इसके अमेरिका के रिसर्च पर गंभीर लॉन्ग टर्म प्रभाव पड़ सकते हैं. इस मुकदमे का कहना है कि ऐसे कटौती वैज्ञानिक समुदाय की इनोवेशन क्षमता को बाधित कर सकते हैं और देश की ग्लोबल रिसर्च कॉम्पिटिशन को भी खतरे में डाल सकते हैं.</p>
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