15 दिनों में तैयार होता है कुश्ती का अखाड़ा, 200 क्विंटल तेल, 1000 नींबू, और भी बहुत कुछ, जानें क्या है बनाने का तरीका



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बेगूसराय: कुश्ती एक पुराना और प्रतिष्ठित खेल है जो न केवल शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि मानसिक दृढ़ता और अनुशासन भी सिखाता है .देश प्रदेश के कई हिस्सों में अक्सर कुश्ती होती रहती है. ऐसे में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के द्वारा भी पहले सोनपुर में राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता रहता था, लेकिन अब बिहार के बेगूसराय में 25 और 26 को राज्य स्तरीय मलयुद्ध होना है. इसके लिए अखाड़ा का निर्माण कार्य जारी है. लेकिन क्या आपको पता है अखाड़ा बनाने में कई सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिसमें कई क्विंटल तेल और नींंबू  और भी बहुत कुछ मिलाया जाता है ऐसे में हम आपको अखाड़ा के बनने की कहानी बताते हैं, कि कैसे बनता है.

आयुर्वेदिक औषधि के रूप में होती है मिट्टी
अखाड़ा आयोजन समिति के विवेक भारद्वाज ने बताया रोजाना अगर काम किया जाए तो अखाड़ा निर्माण में 15 दिनों तक का समय लग ही जाता है. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण टीम के विजय कुमार ने बताया, कि अखाड़े की मिट्टी को मुलायम बनाया जाता है . यहां अखाड़ा निर्माण के लिए 200 ट्रैक्टर तक मिट्टी लाया जाता है. जिससे धरती से 4 फीट ऊंचे अखाड़ा का निर्माण 12 मीटर की सर्कल और परिधि को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. फिर इस अखाड़ा को आयुर्वेदिक बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है जो 2 दिनों तक चलती है . जिसमें पहले सरसों के तेल तकरीबन 20 क्विंटल और 200 किलो हल्दी मिट्टी में मिलाई जाता है. इसके बाद थोड़ा सूखने के बाद 1000 पीस नींबू भी मिलाया जाता है . इसके बाद दूध भी ज़रूरत के हिसाब से मिलाया जाता है . जब आप कुश्ती देखने के लिए जाते हैं उस दौरान कुछ घंटे पहले इसमें अबीर से अखाड़े को सजाया जाता है.

मिट्टी में इतनी सामग्री मिलाने के बाद पहलवानों के लिए कुश्ती सरल हो जाती है. वहीं पूरा ग्राउंड खुशबू से महक उठे ये ध्यान रखा जाता है.जब कुश्ती कार्यक्रम समाप्त हो जाता है तो अखाड़े की मिट्टी काफी संख्या में लोग अपने घर आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग करने के लिए ले जाते हैं . खासकर यह मिट्टी दर्द घाव जैसे बीमारियों में राम बान काम करती है .

बिहार में दूसरी बार हो रहा मल्लयुद्ध
मल्लयुद्ध यानी कि कुश्ती आयोजन समिति, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के मुताबिक, बेगूसराय जिले के देहात में जहां सरल यात्रा के लिए मार्ग भी नहीं है. जहां एक ओर खेल मंत्री सह स्थानीय विधायक के द्वारा 25 व 26 दिसंबर को मंसूरचक के एनएन सिन्हा प्लस टू विद्यालय के खेल मैदान में राज्यस्तरीय मल्लयुद्ध प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है . तो वहीं दूसरी तरफ प्रखंड अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ भी नहीं हैं. विभागीय गाइडलाइंस के मुताबिक एक मेडिकल टीम जिसमें हड्डी रोग विशेषज्ञ हो उनकी ड्यूटी निहित होती है . आपको पता हो पहली बार आयोजित हुई राज्य स्तरीय कुश्ती सोनपुर में पूरी इनाम की राशि 10.5 लाख रुपए थी, जबकि बेगूसराय के मल्लयुद्ध की इनाम राशि 12.5 लाख रखी गई है. वहीं मल्लयुद्ध के लिए खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता खुद एक्टिव होने का दावा कर रहे हैं.

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