1971 Indo-Pak War Gurdayal Singh of Ambala refreshed memories heroes chased away Pakistani ships
अंबाला. 1971 की लड़ाई में, जहां भारत ने पाकिस्तानी फौज को सरेंडर करने के लिए मजबूर कर दिया, तो वही 16 दिसंबर 1971 को यह युद्ध समाप्त हुआ था. इस दौरान पाकिस्तान के 93000 फौज ने भारत की फौज के आगे सरेंडर कर लिया था. वहीं हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. वहीं अंबाला में भी उस युद्ध के कई सैनिक मौजूद है ,जिन्होंने अपनी बहादुरी के दम पर पाकिस्तानी फौज को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया था. वहीं उस दौरान भारतीय वायु सेना ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी और पाकिस्तान के लड़ाकू जहाज को खदेडने का काम किया था.
वही अंबाला में उस समय वायुसेना में अपनी अहम भूमिका निभा चुके ऑफिसर गुरदयाल सिंह मौजूद हैं, जिन्होंने एयरफोर्स में अपनी उस समय अहम भूमिका निभाई थी. वहीं लोकल 18 को गुरदयाल सिंह ने बताया कि 1959 में उन्होंने एयरफोर्स को ज्वाइन किया था और 1995 में वह एयरफोर्स से रिटायर हो गए थे. उन्होंने कहा कि 1971 की लड़ाई में वह चंडीगढ़ में एयरफोर्स में टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहे थे.
1971 की लड़ाई को आज भी याद
उन्होंने बताया कि उसे समय उनके साथियों के द्वारा 15 दिन तक लगातार भारत के लड़ाकू जहाज को तैयार किया गया था, क्योंकि उसे समय भारत के जहाज पाकिस्तानी जहाज को खदेड़ कर गिरने का काम करते थे. और जब भारतीय एयरफोर्स के जहर वापस चंडीगढ़ में आते थे, तो उस दौरान उन जहाज की त्रुटि को दिन-रात ठीक किया जाता था. क्योंकि उसे समय दिन-रात भारतीय जहाज पाकिस्तानी फौज को खदेड़ने का काम करते थे और इसको लेकर उस समय भारत सरकार के द्वारा उन्हें संग्राम मेडल और पश्चिमी स्टार मेडल से सम्मानित किया गया था. वहीं उन्होंने कहा कि उस समय एंटी एयरक्राफ्ट गन सिस्टम ने चंडीगढ़ में पाकिस्तानी जहाज को आने भी नहीं दिया था और उन्हें खदेड़ने का काम किया था. वहीं उन्होंने कहा कि 1971 की लड़ाई को आज भी वह याद करके भारतीय फोर्स को बहुत प्रेम करते हैं.
FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 13:51 IST