2 महीने से नौजवान बाघ ‘लापता’, खोजता फ‍िर रहा वन विभाग, सरिस्का टाइगर रिजर्व में क्‍यों बज रही खतरे की घंटी


जयपुर : सरिस्का टाइगर रिजर्व में एक बार फिर खतरे की घंटी बज रही है. यहां दो महीने से एक नौजवान बाघ लापता है. बाघिन एसटी-17 से जन्मे इस नर बाघ 2305 का बीते 10 अगस्त से कोई सुराग नहीं मिल पाया है. अकबरपुर रेंज में रहने वाला यह बाघ पिछले दो महीने से न तो कैमरा ट्रैप में कैद हुआ है और न ही देखा गया है. खास बात ये है कि यह बाघ ऐसे समय में लापता हुआ है, जब नर बाघ एसटी-24 सेंचुरी को छोड़कर जयपुर के पास जामवा रामगढ़ वन क्षेत्र में रहने लगा है, जबकि एक अन्य बाघ 2303 अभी हरियाणा के बाहरी इलाके में रह रहा है.

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व (एसटीआर) में बाघों की संख्या 43 हो गई है, लेकिन बाघों के लिए असुरक्षित और अशांत आवास उन्हें इस क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर कर रहे हैं.

रिपोर्ट में पूर्व राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य सुनील मेहता कहते हैं कि ‘सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाघों का बाहर जाना यह साफ संकेत दे रहा है कि रिजर्व में हालात खराब हो रहे हैं. इसकी एक वजह मवेशियों की बढ़ती आबादी के साथ ही इलाके में आ रहे अनियंत्रित ट्रैफ‍िक और महत्वपूर्ण बाघ आवास के भीतर गांवों की मौजूदगी है. यह सब म‍िलकर पूरी सरिस्का घाटी पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहे हैं’.

मेहता ने आगे बताया कि जिस तरह से बाघों की आबादी बढ़ती है तो बाघ बाहर निकलते हैं. एक बार जब वे संरक्षित क्षेत्र को छोड़ देते हैं, तो वे शिकारियों के लिए आसान टारगेट बन जाते हैं.

हालांकि सूत्रों को शिकार के बारे में आशंका है, क्योंकि अकबरपुर रेंज के पास दो बाघों की आवाजाही दर्ज की गई थी. यह रेंज पहले शिकार के लिए कुख्यात क्षेत्र था. TOI को नाम न बताने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि, “करीब दो साल पहले एक प्रमुख नर बाघ एसटी-13, जिसका मूवमेंट इस क्षेत्र में देखा गया था, वह रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था. इसके अलावा 2018 में उसी रेंज से एक बाघिन एसटी-5 के लापता होने की सूचना मिली थी. बाद में पुलिस ने एक शिकारी को पकड़ा तो उसने उसकी हत्या करने और उसकी खाल बेचने की बात कबूल की थी.

एसटीआर से युवा बाघों के फैलाव ने उनके लिए वन क्षेत्रों में बेहतर घर की तत्काल जरूरत को उजागर किया है. राजस्थान के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन आरएन मेहरोत्रा​ने कहा कि “सरिस्का एक बड़ा पार्क है और यहां मौजूदा बाघों की आबादी आसानी से रह सकती हे, लेकिन यह इलाका इंसानी गतिविधियों से बुरी तरह प्रभावित है. रिजर्व के भीतर भैंसों के बड़े झुंड रोजाना चरते हैं. संसाधनों की कमी की वजह से वन विभाग अकेले इस समस्या से नहीं निपट सकता. चराई की समस्या को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए पुलिस और जिला प्रशासन को मिलकर एक प्रयास करने की जरूरत है.”

हालांकि एसटीआर के एक वरिष्ठ अधिकारी का ये भी कहना है कि, “महीनों तक बाघों के न दिखने की घटना आम बात है. बारिश के बाद जंगल घना और घना हो जाता है. हमारी टीमों को रिपोर्ट मिली है कि बाघ सिलिबेरी क्षेत्र में पहुंच गया है.

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