2024 का रण: पटना की बैठक टलने से नीतीश कुमार नाराज, कांग्रेस से साफगोई चाहते हैं विपक्षी दल
मधुपर्णा दास
नई दिल्ली. कांग्रेस नेताओं सोनिया और राहुल गांधी को संयुक्त विपक्षी मोर्चे में शामिल होने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के प्रस्ताव को स्वीकार करने में सितंबर 2022 से मार्च 2023 तक सात महीने लग गए. News18 को पता चला है कि उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा तैयार किए गए ‘एक के खिलाफ एक’ के फॉर्मूले को भी स्वीकार कर लिया है. इसका मतलब हुआ कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 450 लोकसभा सीटों पर द्विध्रुवीय लड़ाई देखी जा सकती है. हालांकि, इस फॉर्मूले को अमली जामा पहनाने के लिए पटना में 12 जून को बुलाई गई एक मेगा विपक्षी बैठक को अब स्थगित कर दिया गया है.
इस बैठक के मेजबान जेडीयू और आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के प्रमुख एमके स्टालिन की ‘अनुपलब्धता’ के कारण कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया और एक नई तारीख पर काम किया जा रहा है.
तारीख का पेंच
मार्च में गांधी परिवार के सहमत होने के बाद, नीतीश कुमार ने वरिष्ठ विपक्षी नेताओं से मिलने के लिए विभिन्न राज्यों की यात्रा की. ‘कांग्रेस से स्पष्ट दूरी बनाकर चलने वाली’ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के के. चंद्रशेखर राव और आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल एक टेबल पर लाने में कामयाब भी होते दिखे. उन्होंने अगले साल होने वाले आम चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों को चुनौती देने के लिए विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने के विचार पर उन्हें आश्वस्त किया.
हालांकि, विपक्षी दलों की इस मेगा बैठक की तारीख और जगह तय होने के कुछ ही दिनों बाद कांग्रेस और DMK नेताओं ने अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए इस बैठक में सामिल होने में असमर्थता जताई.
इस बीच बैठक की नई तारीख पर भी कोई स्पष्टता नहीं है, क्योंकि माना जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा आगे बढ़ सकती है. वहीं पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि यह बैठक अब 23 जून को उसी जगह यानी पटमा में ही हो सकती है.
इस बैठक की योजना बनाने से लेकर सारी व्यवस्थाएं करने वाले नीतीश कुमार इस ताजा घटनाक्रम को लेकर गुस्से में बताए जा रहे हैं और अब गांधी की पुष्टि के साथ एक नई तारीख पर काम कर रहे हैं.
कांग्रेस को लेकर क्षेत्रीय दलों की चिंता
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कर्नाटक के हालिया चुनाव में कांग्रेस की जीत विपक्षी एकता के लिए हानिकारक साबित हो सकती है, क्योंकि इस जीत ने देश की सबसे पुरानी पार्टी में अहंकार वापस ला दिया है.
वरिष्ठ तृणमूल नेता ने News18 से कहा, ‘ममता बनर्जी ने हर निर्वाचन क्षेत्र में द्विध्रुवीय लड़ाई के विचार पर सहमति व्यक्त की है, और वह लंबे समय से यही सुझाव देती रही हैं. बीजेपी से लड़ने का दीदी का फॉर्मूला हमेशा से यही रहा है. उन्होंने कहा कि जिस जगह क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, वहां लड़ाई में कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों को उनका समर्थन करना चाहिए. लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बंगाल में तृणमूल की राजनीतिक गतिविधियों के खिलाफ बयान देते रहे हैं. यह बंद होना चाहिए.’
‘कांग्रेस के बिना संभव नहीं विपक्षी मोर्चा’
एक अन्य वरिष्ठ विपक्षी नेता भी अपनी चिंता साझा करते हुए कहा, ‘कांग्रेस को यह तय करना होगा कि क्या वह पुनरुत्थानवादी बनना चाहती है या अस्तित्ववादी. वे कई बार सोचते हैं कि खुद को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें सभी समाजवादी पार्टियों और क्षेत्रीय ताकतों को खत्म करने की जरूरत है. जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘उन्हें पहले यह तय करना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं: पुनर्जीवित होना या अस्तित्व बचाना. हमने ममता दीदी और अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के साथ आने के लिए राजी कर लिया है. लेकिन वे हर दिन इन पार्टियों के खिलाफ बयान जारी करते हैं. ये क्या संदेश देना चाहते हैं?’
हालांकि, ये नेता यह भी स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस के बिना, जो सात राज्यों में अकेले या गठबंधन में सरकार चला रही है- कोई विपक्षी गठबंधन संभव नहीं है. इसलिए वे कहते हैं कि सभी पार्टियों को ‘इसे सहन करना’ होगा.
.
Tags: Lok Sabha Election 2024, Nitish kumar, Opposition unity
FIRST PUBLISHED : June 07, 2023, 19:03 IST