3 साल में दोगुना हो जाएगा निवेश! हर आदमी बचाएगा पैसा, भारतीय निवेशकों का भविष्य बताती है यह रिपोर्ट
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Indian Investment Future : भारत में निवेश की संख्या तेजी से बढ़ रही है और माना जा रहा है कि वित्तवर्ष 2029 तक कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट की राशि 2.3 ट्रिलियन डॉलर पहुंच सकती है, जो अभी 1.1 ट्रिलियन डॉलर है.
नई दिल्ली. भारत के निवेश की कहानी आने वाले 3 साल में काफी रोचक होने वाली है. एक रिपोर्ट बताती है कि आने वाले 3 साल में निवेश की राशि दोगुनी से ज्यादा बढ़ सकती है. रिपोर्ट में बताया गया कि संपत्ति प्रबंधन सेवाओं की मांग वित्तीय वर्ष 2024 में 1.1 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2029 तक 2.3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगी. इसमें बदलते मैक्रोइकोनॉमिक रुझान और बढ़ती इनकम मददगार होगी.
डेलॉइट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार,वित्तीय वर्ष 2024 में संपन्न परिवारों द्वारा रखी गई 1.1 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय संपत्ति में से, 0.4 ट्रिलियन डॉलर अनौपचारिक रूप से प्रबंधित रहेंगे. इन समृद्ध घरों की संपत्ति 2.3 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, जिससे इस क्षेत्र में स्थापित खिलाड़ियों और नए प्रवेशकों के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे. समृद्ध घरों की संख्या, जिन्हें शीर्ष 4-5 प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है जिनकी वार्षिक आय 25,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है.
कहां बढ़ेगी सबसे ज्यादा राशि
भौतिक संपत्तियों जैसे रियल एस्टेट और सोने से वित्तीय संपत्तियों जैसे म्यूचुअल फंड, इक्विटी और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं की ओर एक स्पष्ट बदलाव देखा जा रहा है. म्यूचुअल फंड एयूएम वित्तीय वर्ष 2017 से वित्तीय वर्ष 2024 तक 16.2 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़कर 651 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है.
वित्तीय प्रबंधन कंपनियां अपने सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए डेटा आधुनिकीकरण, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर सुरक्षा उपायों को अपना रही हैं. डेलॉइट इंडिया के पार्टनर विजय मणि का कहना है कि भारत की वित्तीय प्रबंधन उद्योग में अभूतपूर्व वृद्धि की संभावना है, क्योंकि बढ़ती समृद्धि और संबंधित ग्राहक वर्गों की बदलती प्राथमिकताएं इसे आगे बढ़ा रही हैं. यह एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है जिसमें कई तरह के सर्विस प्रोवाइडर्स शामिल हैं.
ग्राहकों के हिसाब से बन रहे प्रोडक्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास और प्रॉफिट के मामले में सफलता के लिए पिछले तरीकों से अलग दृष्टिकोण अपनाना होगा. इसका मतलब है कि ग्राहकों को बेहतर समझना, विभिन्न वर्गों के लिए उत्पादों को बेहतर ढंग से तैयार करना, तकनीक और रिलेशनशिप मैनेजर (आरएम) की प्रतिभा को मिलाकर हाइब्रिड ऑपरेटिंग मॉडल अपनाना और नियामक अनुपालन पर कड़ी नजर रखना जरूरी है. ग्राहक के हिसाब से प्रोडक्ट बनाए जाने पर इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा रहेगी.
New Delhi,Delhi
January 21, 2025, 15:18 IST