35 सालों में सुबह 6 से रात 9 बजे तक क्या रहा रतन टाटा का रुटीन, छुट्टी के दिन कैसे करते थे रिलैक्स


हाइलाइट्स

रतन टाटा का एक्टिव डे रोज सुबह 6 बजे शुरू होता थाउनका रुटीन ऐसा होता था जिसमें वह लगातार बहुत कुछ करते थेरात 9 बजे वह हल्का खाना लेते थे और म्युजिक सुनते थे

एक सफल और अर्थपूर्ण जिंदगी के बाद टाटा ग्रुप के प्रमुख रहे रतन टाटा का मुंबई में निधन हो गया लेकिन जब तक वो जीवित रहे. तब तक लगातार बिजी रहे. खुद को काम में लगातार बिजी रखते थे. उनका रोजाना का रुटीन एकदम फिक्स होता था. जो सुबह 6 बजे से शुरू हो जाता था. उनका ये रुटीन 1991 से अब तक 35 सालों तक करीब चलता रहा. इतने सालों तक ऐसा करना दिखाता है कि वो कितने पाबंद और अनुशासन में बंधे हुए थे.

रतन टाटा आमतौर पर सुबह 6 बजे अपना दिन शुरू कर देते थे. इसके बाद आफिस के लिए निकल जाते थे. इस दौरान वह दिनभर टाटा की अलग अलग कंपनियों की बैठकों में भाग लेते थे. काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आखिरी समय तक बनी रही. उनका हर दिन उस हिसाब से उत्पादक होता था. उनका रुटीन ये भी बताता है कि वह बहुत अनुशासित शख्स थे.

रतन टाटा आमतौर पर अपने दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा कार्यालय में बिताते थे. सुबह से उनकी मीटिंग्स शुरू हो जाती थीं, जो दिनभर, देर दोपहर या शाम तक चलती रहती थीं. उन्होंने टाटा समूह के भीतर निर्णय लेने और सहयोग पर केंद्रित एक कठोर कार्यक्रम बनाए रखा. शाम को वह आराम करते थे और चिंतन का काम करते थे.

रोज की दिनचर्या
सुबह 6:00 बजे – माइंडफुलनेस और रिफ्लेक्शन
उनका दिन जल्दी शुरू होता था. अक्सर दिन के लिए अपने इरादे तय करने के लिए शांत चिंतन में लगे रहते थे.

सुबह 6:30 बजे – शारीरिक व्यायाम
उन्होंने फिटनेस को प्राथमिकता दी, शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की चुस्ती बनाए रखने के लिए तेज चलना या हल्के व्यायाम शामिल किए.

सुबह 8:00 बजे – नाश्ता और पढ़ना
उनका नाश्ता सादा लेकिन पौष्टिक था, साथ ही वैश्विक विकास से अवगत रहने के लिए समाचार पत्र और उद्योग रिपोर्ट पढ़ते थे.

आफिस कार्यक्रम
सुबह 9:00 बजे – बैठकें और निर्णय लेना
सुबह लगातार बैठकों से भरी होती थी, जिसमें टाटा मोटर्स और टाटा स्टील सहित टाटा समूह के विभिन्न उद्यमों के बारे में महत्वपूर्ण चर्चाएं होती थीं.

दोपहर 12:30 बजे – टीम के साथ दोपहर का भोजन
दोपहर का भोजन अक्सर टीम के सदस्यों के साथ एक आरामदायक माहौल में होता था, जिससे सलाह और सहयोग को बढ़ावा मिलता था.

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वीकएंड के दिन रतन टाटा आमतौर पर अपने दो जर्मन शेपर्ड डॉग्स के साथ जरूर समय गुजार कर रिलैक्स होते थे. (News18)

दोपहर 2:00 बजे – इवोनेशन सेशन
दोपहर में आमतौर पर विचार-मंथन और नवाचार के लिए समर्पित सत्र होते थे, जिसमें अल्पकालिक लाभ की तुलना में दीर्घकालिक दृष्टि पर जोर दिया जाता था.

शाम की दिनचर्या
शाम 7:00 बजे – आराम का समय
एक लंबे दिन के बाद, टाटा काम और व्यक्तिगत रुचियों के बीच संतुलन बनाते हुए पढ़ने या संगीत सुनने जैसी गतिविधियों के साथ आराम करते थे.

रात 9:00 बजे – हल्का डिनर और आराम
उन्हें हल्का डिनर पसंद था, अक्सर वे पर्याप्त आराम के लिए जल्दी सोने से पहले दिन के बारे में सोचते थे.
अपने इस रुटीन में वह अनुशासन का पालन करते थे तो निरंतर सीखने की कोशिश करते थे. कल्याण के कामों पर भी उनका हमेशा जोर होता था.

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रतन टाटा वर्ष 1991 में टाटा ग्रुप के प्रमुख बने. उसके बाद उनका जीवन एक अनुशासन से लगातार बंधा रहा. वह रोजाना मीटिंग्स के साथ नए लोगों से मिलते, उनके इनोवेशन के बारे में जानते थे. रात में रिलैक्स होकर हल्का -फुल्का संगीत सुनते थे.

छुट्टी के दिन क्या करते थे
सप्ताहांत में वह अपनी व्यक्तिगत रुचियों की ओर ध्यान देते थे. कुछ साल पहले तक खुद ही कार ड्राइविंग करते थे. वास्तुकला को समय देते थे, जो उनकी सबसे बड़ी हॉबी थे. उन्होंने कई व्यक्तिगत जगहों को खुद डिज़ाइन किया. आर्किटैक्ट में वह काफी क्रिएटिव थे.

पहले वह अपना जेट भी उड़ाना पसंद करते थे. उन्हें पायलट का लाइसेंस मिला हुआ था. उन्हें कार चलाने और विमान उड़ाने का शौक था, जिसे उन्होंने कई वर्षों में विकसित किया. सप्ताहांत में अपने जर्मन कुत्तों को भी भरपूर समय देते थे.

छुट्टी के दिन ड्राइविंग से प्यार
वह अक्सर सप्ताहांत में अपना समय अपने कलेक्शन की कारों को चलाने में लगाते थे. आटोमोबाइल को लेकर उनके अंदर गजब का जुनून था.
वह अक्सर रविवार को अपने कलेक्शन से कई वाहन चलाने के लिए समय निकालते थे, जिसमें मर्सिडीज-बेंज और रेंज रोवर्स56 जैसे लग्जरी ब्रांड शामिल हैं. ऑटोमोबाइल के लिए उनका शौक केवल मनोरंजन के लिए नहीं था. वो अलग-अलग मॉडल को जानने और परखने के लिए खुद ड्राइव करते थे. इसे वह एंजॉय भी करते थे और रिलैक्स भी होते थे.

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रतन टाटा में कारों की ड्राइविंग और फ्लाइंग को लेकर गजब का जुनून था.

वो कारों की इंजीनियरिंग और डिजाइन के भी पारखी थी. उन्हें मर्सिडीज-बेंज SL500 चलाते हुए देखा गया है. उन्हीं की अगुवाई में टाटा ने अपने आटोमोबाइल डिविजन कारों को बनाना शुरू किया और फिर उसमें टाटा ने अब लंबी छलांग भी लगा ली है.

पालतू डॉग्स के साथ समय गुजारना
डॉग्स के साथ उनका एक अलग अपनापा था. जर्मनी शेपर्ड डॉग टीटो औऱ टैंगो उनके पेट डॉग थे. सप्ताहांत में अख्सर उनके साथ समय गुजारते थे.

फ्लाइंग और निजी विमान
रतन टाटा एक कुशल पायलट थे. उन्होंने F-16 और बोइंग F/A-18 सुपर हॉर्नेट जैसे उच्च प्रदर्शन वाले जेट विमानों को उड़ाया. उनके पास अपनी निजी जेट डसॉल्ट फाल्कन 2000 था.
इस विमान की कीमत करीब 22 मिलियन डॉलर (करीब ₹182 करोड़) है. वह इसका इस्तेमाल दुनियाभर में कारोबारी और निजी यात्रा दोनों के लिए करते थे. डसॉल्ट फाल्कन सीरीज के जेट अपनी विलासिता और प्रदर्शन दोनों के लिए जाने जाते हैं.

सबसे यादगार उड़ान
रतन टाटा की अब तक की सबसे यादगार उड़ानों में एक फरवरी 2007 में थी, जब उन्होंने बेंगलुरु में एयरो इंडिया शो में एक F-16 फाइटर जेट का सह-पायलट किया. 69 वर्ष की आयु में टाटा को लॉकहीड मार्टिन द्वारा इस उच्च गति वाले रोमांच का अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया गया. उड़ान के दौरान, उन्होंने 500 फीट की ऊंचाई से उड़ान भरी, 600 नॉट्स (लगभग 1,110 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति तक पहुंचे, जिसे उन्होंने विमान की चपलता और प्रदर्शन के कारण “उत्साहजनक” और “अविश्वसनीय” बताया. एक दिन बाद ही, उन्होंने बोइंग F/A-18 सुपर हॉर्नेट उड़ाया.
(ये जानकारी perplexity ai और अन्य स्रोतों से जुटाई गईं)

Tags: Ratan tata, Tata Motors, Tata steel, Tata Tigor



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