375 KM Metro Network In MMR Region, Worlds Largest Central Park: Fadnavis Shows Picture Of Changing Maharashtra – MMR रिजन में 375 KM मेट्रो नेटवर्क, दुनिया का सबसे बड़ा सेंट्रल पार्क : फडणवीस ने दिखाई बदलते महाराष्ट्र की तस्वीर
एनडीटीवी के एडिटर-इन चीफ संजय पुगलिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने राज्य की बदलती तस्वीर को बयां किया. फडणवीस ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि सारे बड़े इंफ्रास्ट्र्क्चर प्रोजेक्ट्स हम डिलिवर कर रहे हैं. इन प्रोजेक्ट्स की शुरुआत जब मैंने की थी तो विधानसभा में मेरे ऊपर बहुत तंज कसे गए. विपक्ष कहने लगा कि भूमि पूजन तो होते हैं, लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं होते. तब मैंने कहा था कि सारे प्रोजेक्ट्स मैं रिकॉर्ड टाइम में पूरा करूंगा.
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न्यू मुंबई एयरपोर्ट 2024 के आखिर में
देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि आज आप देख सकते हैं देश का सबसे लंबा समुद्री पुल अटल सेतु तैयार हो गया है. उस पर ट्रैफिक शुरू हो गया है. अभी-अभी हमने कोस्टल रोड के एक लेन को शुरू कर दिया है. न्यू मुंबई एयरपोर्ट 2024 के आखिर में हम शुरू कर देंगे. नागपुर मुंबई कम्यूनिकेशन सुपर एक्सप्रेसवे का काम मेजर हिस्सा तो खोल दिया है मगर करीब 150 किलोमीटर का हिस्सा बचा है. उसे भी हम लोग पूरा कर देंगे. ऐसे कई प्रोजेक्ट्स हैं, जिनके बारे में हमने उस समय कहा था, हमने उसे पूरा किया.
देश का सबसे बड़ा सेंट्रल ग्रीन पार्क
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री ने बताया कि पुणे रिंग रोड का काम शुरू कर रहे हैं. विरार-अलीबाग कॉरिडोर का काम शुरू कर रहे हैं.मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक के बाद बांद्रा-वर्सोवा का काम शुरू कर दिया है. वर्सोवा से मढ तक के काम के लिए टेंडर निकाल दिया है. कल ही हमने मढ से विरार तक के लिंक को मान्यता दे दी है. जब मैं जापान गया था तो जापान ने इसे फंड करने की बात कही है तो उसका काम हम पूरा करेंगे. विरार से अलीबाग कॉरीडोर को जोड़ रहे हैं. इसको हम शुरू कर चुके हैं. इसको हमने समुद्री सेतु से जोड़ दिया है. पहली बार मुंबई के लिए एक लूप तैयार हो गया है. रेस कोर्स की कुछ जमीन पर देश का सबसे बड़ा सेंट्रल ग्रीन पार्क बनेगा. यह 300 एकड़ का होगा. यहां केवल हरियाली होगी.
मोदी सरकार से मिली मदद
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एमएमआर रीजन में 375 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क बना रहे हैं. इसमें करीब 100 किलोमीटर का डिलिवर हो गया है. धीरे-धीरे करके 3-4 सालों में पूरा नेटवर्क डिलिवर होगा. नागपुर मेट्रो, पुणे मेट्रो को रिकॉर्ड टाइम में पूरा किया. आज अगर आप देखेंगे तो ग्रामीण इलाकों में भी जो रास्ते हैं, उन रास्तों को उन्नत किया गया है. जो जिला रोड थे, उन्हें हम स्टेट रोड का दर्जा देकर वहां भी कंकरीट का रोड तैयार कर रहे हैं. बहुत बड़े स्तर पर केंद्र सरकार की मदद से शहरों में सीवेज का काम कर रहे हैं. कचरे से बिजली निर्माण होंगे. ऐसे कई इंफ्रा प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं या उनका काम चालू है. हम बहुत चेंज इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि मोदीजी की सरकार है. इस प्रकार जो स्पीड और जो स्केल मोदी जी की सरकार में देखने को मिला है, वो कभी नहीं मिलता.
धारावी का ऐसे तैयार हुआ प्लान
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री ने बताया कि धारावी की बात 40 साल से चल रही है, लेकिन हो नहीं पाता था. जिस समय मैं सीएम था, हमने पहले पूरा अध्ययन किया कि इसमें दिक्कतें क्या-क्या हैं? दो दिक्कतें विशेष रूप से नजर आईं. पहला, लोगों का पुर्नवास वहीं करना है. ऐसा करने के लिए कोई ना कोई जमीन हमें चाहिए थी. जिस पर हम पहले निर्माण कर पाएं. लोगों को वहां शिफ्ट कर पाएं. यहां वापस निर्माण कार्य कर पाएं और फिर लोगों को वापस घर दे पाएं. अब वो जमीन भी धारावी में ही चाहिए थी. फिर हमें रेलवे की जमीन दिखी. हम लोग केंद्र सरकार के पास गए. हमने कहा कि ये जमीन हमें चाहिए. मोदी जी ने तुरंत ये जमीन हमें दी. हमने उस जमीन को खरीदा. अब इसमें जमीन की दिक्कत नहीं है. अब जो पात्र लोग हैं, उन्हें वहीं घर देने वाले हैं. किसी को बाहर नहीं ले जाएंगे. दूसरी दिक्कत थी कि यहां केवल झोपड़पट्टी नहीं है. ये एक इकोनॉमिक सेंटर है. जो चीजें धारावी में बनती हैं, वो और कहीं बनती ही नहीं हैं. दुनिया का कोई भी ब्रांड, सेम वैसा ही आपको धारावी में मिल जाएगा. इतना वहां पर लोगों में काम करने की ललक है. मेरे ध्यान में आया कि इन्हें जैसे ही फॉर्मल इकोनॉमी में लाएंगे तो इन्हें टैक्स भरना पड़ेगा और यहां के लोग ये करना नहीं चाहते. फिर हमने इसका भी पुनर्वास प्लान किया. उन्हें सारी कॉमन सुविधाएं तैयार करके दीं, ताकि अच्छे तरीके से प्रोडेक्शन तैयार कर सकें. हमने उन्हें पांच साल के लिए टैक्स में छूट दे दी.
दुनिया का अनूठा प्रोजेक्ट
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि फिर इसमें तीसरी बात ये थी कि धारावी में करीब एक लाख लोग ऐसे हैं, जो कि पात्र ही नहीं हैं. पहले 2001 तक के लोग पात्र थे. मैंने कानून तैयार किया. 2011 तक के लोगों को पात्र किया, लेकिन उसके बाद वालों का क्या? उन्हें हटाए बिना पुनर्वास तो नहीं सकते. हमने उसमें भी एक रास्ता निकाला. हमने मानवता का तरीका अपनाया. इन लोगों के लिए भी हम घर बनाएंगे. ऐसे लोगों के लिए शायद हमें बाहर जाना पड़ेगा. 5-7 किलोमीटर के इलाके में जमीन देखकर इनके लिए भी घर बनाएंगे. इन्हें हम रेंटल हाउस देंगे, लेकिन 10 साल ये घर उनका होगा. जो हाईकोर्ट का फैसला आया था, उसका पालन करते हुए हमने रास्ता निकला. आज ऐसा है कि धारावी में जो पात्र हैं, उन्हें वही और अच्छा घर मिल रहा है. जो बिजनेस करता है, उसे वहीं बिजनेस करना है. जो पात्र नहीं हैं, उन्हें भी घर मिलेगा. मैं ऐसा मानता हूं कि देश का नहीं बल्कि दुनिया का यह अपने आप में अनूठा प्रोजेक्ट है. इसका काम जल्दी शुरू होगा. धारावी जब बनेगा तो दुनिया ये देखेगी कि किस प्रकार से गरीबी के साथ हम लड़ाई करके उसे हरा सकते हैं और गरीबों को अधिकार दे सकते हैं.