4 घंटे की मेहनत से सजती है चांदी, केसर और चंदन की आंगी, मूर्तियां खराब न हो इसलिए अपनाते हैं यह ट्रिक-The angi is decorated with silver saffron and sandalwood after 4 hours of hard work


बाड़मेर. कहते हैं कि भगवान ने अपने हाथों से दुनिया को सजाया है लेकिन जब दुनिया बनाने वाले भगवान की मूरत को सजाने का अवसर मिले तो हर भक्त अपना सब कुछ दे देता है. ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है इन दिनों जैन धर्म में. पर्युषण महापर्व में भगवान के लिए आंगी रचकर भगवान की मूरत को सजाना खास नजर आ रहा है.

भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर में जब दादा पार्श्वनाथ की आंगी सजाई गई तो उसे देखने वाले हजारों भक्तों की आंखें भर आईं. दादा की यह आंगी चांदी से सजाई गई थी. देश भर में जैन समाज के सबसे बड़े पर्यूषण पर्व की धूम है. हर जिनालय और दादावाड़ी में विभिन्न तप,आयोजन और प्रवचन हो रहे है. अमूमन जिनालय में 24 तीर्थंकरों की अल सुबह वाकक्षेप पूजा, पक्षाल और केसर पूजा होती है लेकिन पर्युषण महापर्व में भगवान की खास आंगी सजाई जाती है.

मुंबई, पूना सहित गुजरात से मंगवाते है चांदी का अर्क
आंगी भगवान की मूर्ति पर सजाया जाने वाला वह आवरण है जो उनके वस्त्र के जैसा होता है. बाड़मेर जिला मुख्यालय के कल्याणपुरा पार्श्वनाथ भगवान मन्दिर में दादा पार्श्वनाथ के चांदी की आंगी बनाई गई है. भक्तों के सहयोग से मन्दिर कमेटी ने दादा पार्श्वनाथ भगवान के लिए अलग अलग जगह से चाँदी के वर्क को मंगवाया है. यह चाँदी के वर्क जोधपुर, अहमदाबाद, मुंबई, जयपुर और पूना से मंगवाए गए है.

आंगी सजाने में 4 घंटे का लगता है समय
दादा पार्श्वनाथ के साथ साथ भगवान आदिनाथ, भगवान महावीर, सीमंधर स्वामी, दादा गुरुदेव, नाकोड़ा भैरव देव, माता पद्मावती, भगवान गौतम स्वामी की भी आंगी सजाई गई है. दिन भर की पूजा अर्चना के बाद रात में सजी आंगी को देखने लोगो का जन सैलाब नजर आया है. मंदिर प्रबंधक प्रवीण सेठिया लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताते है कि आंगी सजाने में 2-4 घंटे का समय लगता है.

चांदी, केसर व चंदन की सजाई जाती है आंगी
प्रवीण सेठिया के मुताबिक भगवान की प्रतिमा काफी प्राचीन है इसलिए इसके आगे चांदी का खोल बनाया जाता है. इसी पर आंगी सजाकर भगवान की प्रतिमा पर यह खोल चढ़ा दिया जाता है. पहले चांदी के खोल के खोल पर चन्दन व लकड़ी के बुरादे का घोल लगाया जाता है और फिर आंगी सजाई जाती है. मंदिरों में फूल, चांदी, केसर और चंदन की आंगी सजाई जाती है.

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