450 साल पुराना है बालाजी का यह मंदिर, राधेश्याम कहकर किया जाता है संबोधित, जानें इतिहास


अजमेर: राजस्थान के अजमेर शहर के मध्य स्थित एक 450 वर्ष पुराना हनुमान मंदिर श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का केंद्र बना हुआ है. घाटीनुमा स्थान पर स्थित होने के कारण यह मंदिर “घाटी वाले बालाजी” के नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा और इसके पीछे की ऐतिहासिक कहानी इस स्थान को और भी विशिष्ट बनाती है.ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को कुछ साधु-संत दूर से लेकर आए थे. यात्रा के दौरान वे थक गए और विश्राम के लिए इसी स्थान पर रुक गए.

इस दौरान सेठ रामप्रसाद ने साधुओं को भोजन के लिए आमंत्रित किया और मूर्ति को भी भोग लगाने का आग्रह किया. भोजन के बाद जब साधु मूर्ति को उठाकर आगे बढ़ने लगे, तो मूर्ति अपनी जगह से हिली ही नहीं. इसके बाद, साधुओं ने इसे यहीं स्थापित करने का निर्णय लिया और सेठ रामप्रसाद ने इस स्थान पर मंदिर बनवाया.

राधेश्याम कहकर करते हैं संबोधित
मंदिर के पुजारी आदित्य ने बताया कि यहां भक्त हनुमान जी को ‘सीताराम’ या ‘जय श्री राम’ नहीं बल्कि ‘राधेश्याम’ कहकर संबोधित करते हैं. मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मंदिर एक विशेष धार्मिक वातावरण से भर जाता है.

मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले बालाजी
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर पीढ़ियों से आस्था का केंद्र रहा है. मान्यता है कि घाटी वाले बालाजी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. मंदिर के पुजारी आदित्य ने बताया कि पहली बार यहां आने वाले श्रद्धालुओं का जीवन भर इस मंदिर से संबंध जुड़ जाता है. जब किसी की मनोकामना पूरी होती है, तो वे यहां विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिससे मंदिर में एक विशेष आस्था का माहौल बना रहता है.

Tags: Ajmer news, Local18, Rajasthan news



Source link

x