5वीं फेल बिजनेसमैन, 12 रुपये से खड़ा किया करोड़ोंं का साम्राज्य, कर्मचारियों को गिफ्ट में बांटता है कार फ्लैट
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हाइलाइट्स
सावजीभाई गुजरात के मरेली जिले के डुढाला गांव के रहने वाले हैं.
आर्थिक तंगी के चलते इन्होंने 13 साल की उम्र में पढ़ना छोड़ दिया था.
आज सावजीभाई की नेट वर्थ 1.5 बिलियन डॉलर है.
नई दिल्ली. आपने कई बड़ें अरबपतियों की सफलता की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन आज हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उनकी गिनती सूरत के बड़े कारोबारियों में होती है. गरीबी में जीवन बिताने वाले इस शख्स ने महज 12 रुपये के साथ शुरुआत की और आज करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया. इनकी कहानी इतनी अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय है कि आप भी जानकार हैरान रह जाएंगे. शून्य से शिखर पर पहुंचने वाले व्यक्ति का एक जीवंत उदाहरण हैं सावजीभाई ढोलकिया.
सावजीभाई गुजरात के मरेली जिले के डुढाला गांव के रहने वाले हैं. कक्षा 4 तक पढ़ें सावजीभाई 1977 में अपने गांव से सिर्फ 12.5 रुपये लेकर सूरत के लिए निकले थे. यह रुपये भी बस का किराया चुकाने में खत्म हो गए थे. पर कहते हैं जब कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई परेशानी आपको झुका नहीं सकती है. सावजीभाई ने इसे सच भी कर दिखाया. आज सावजीभाई की नेट वर्थ 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब साढ़े 12 हजार करोड़ से ज्यादा है.
बोनस के लिए दुनियाभर में जानें जाते हैं सावजीभाई
डायमंड नगरी सूरत के डायमंड कारोबारी सावजीभाई का आज कारोबार इतना बड़ा हो चुका है कि वो अपने कर्मचारियों को बोनस, गिफ्ट में मकान, कार और मोपेड देते हैं. यहां तक कि कुछ कर्मचारियों को तो उन्होंने मर्सिडीज कार तक भेंट कर दी. विनम्रता और परोपकारिता की मिशाल बन चुके सावजी भाई को दिलदार बॉस के नाम से भी लोग पहचानते हैं. वह हर दीपावली पर अपने कर्मचारियों को भव्य दिवाली बोनस प्रदान करने के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हैं. बोनस के तौर पर अपने कर्मियों को कार, फ्लैट और आभूषण उपहार में देने की परंपरा बनाया है.
घर निकले थे सिर्फ 12 रुपये लेकर
आर्थिक तंगी के चलते इन्होंने 13 साल की उम्र में पढ़ना छोड़ दिया था. सावजी 1977 में अपने गांव से साढ़े बारह रुपये लेकर सूरत अपने चाचा के घर पहुंचे थे, जो कि एक हीरा व्यापारी थे. इन्होंने वहीं डायमंड ट्रेडिंग की बारीकियां सीखीं. सूरत की एक फैक्ट्री में महज 179 रुपये प्रति माह पर नौकरी पर काम किया. उस समय उनके पास खाने पीने में 140 रुपए खर्च करने के बाद 39 रुपये बचा करते थे. अपने एक दोस्त से हीरा घिसने का काम सीखा करीब 10 साल तक हीरा घिसने का काम किया और धीरे धीरे कारोबार आगे बढ़ने लगा.
जिस कंपनी में किया काम उसी के बन गए मालिक
1984 में इन्होंने अपने भाई हिम्मत और तुलसी के साथ मिलकर हरि कृष्णा एक्सपोर्टर्स नाम से अलग कंपनी शुरू की. यह कंपनी डायमंड और टेक्सटाइल सेगमेंट में काम करती है. जिस कंपनी में वो काम करते थे आज वो उसी कंपनी के मालिक बन गए हैं. उनकी हीरा और टेक्सटाईल की इंडसट्रीज हैं और तकरीबन 6000 से ज्यादा कर्मचारी यहां काम करते हैं. इनकी कंपनी क्वालिटी के साथ ही ट्रांसपेरेंसी के लिए मशहूर है.
कर्मचारियों को दी मर्सिडीज कार
अपने कर्मचारियों को दिवाली बोनस में मकान, कार और मोपेड देने वाली हरे कृष्ण डायमंड कंपनी ने 25 साल से निष्ठापूर्वक काम कर रहे अपने 3 मैनेजरों को 1 1 करोड़ की कीमत वाली मर्सिडीज कार भेंट में दी थी. इतना ही नहीं, कंपनी के मालिक सवजी ढोलकिया ने 8 साल काम करने के बाद दिलीप नाम के कर्मचारी की मौत के बाद उनकी पत्नी को एक करोड़ रुपए का चेक भी दिया था. बता दें सवजी ढोलकिया इससे पहले भी इस तरह के इंसेन्टिव देकर चर्चा में रह चुके हैं.
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Tags: Diamond, Success Story
FIRST PUBLISHED : August 17, 2023, 10:29 IST