50% गरीब भरते हैं 64% जीएसटी! दावे में कितनी सच्चाई? प्रोफेसर ने किया दूध का दूध पानी का पानी


नई दिल्ली. भारत में गरीब तबके के 50 प्रतिशत लोग 64.3 फीसदी जीएसटी का भुगतान करते हैं. यह दावा ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट में किया गया था. ऑक्सफैम की रिपोर्ट “सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी” में यह बात कही गई थी और इसे 2023 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जारी किया गया था. इस दावे को लेकर अर्थशास्त्री डॉ. विधु शेखर ने एक लेख प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने इसका खंडन किया है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में हाल ही में एक प्रकाशित लेख में उन्होंने कहा कि ऑक्सफैम की रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत के GST का 64.3 प्रतिशत गरीब तबके के 50 प्रतिशत लोग भरते हैं, जबकि देश के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोग मात्र 3-4 प्रतिशत योगदान करते हैं. यह दावा मीडिया में खूब चर्चित हुआ और कई नीति चर्चाओं में भी उठा, यहां तक कि इसे संसद में भी प्रश्नों के रूप में प्रस्तुत किया गया. लेकिन, क्या यह आंकड़े सही हैं? इस सवाल का जवाब खोजने पर पता चला कि ऑक्सफैम की यह रिपोर्ट तथ्यों से परे है और इसकी पद्धति में गंभीर खामियां हैं.

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ऑक्सफैम रिपोर्ट की कमियां
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में जिस तरीके से आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया, वह गहराई से जांचने पर विश्वसनीय नहीं लगता. GST एक अप्रत्यक्ष कर है जो खपत पर आधारित होता है, यानी जो लोग ज्यादा खर्च करते हैं, वे ज्यादा GST चुकाते हैं. इसका मतलब है कि ऊंची आय वाले लोग ज्यादा कर भरते हैं. लेकिन ऑक्सफैम की रिपोर्ट इस सामान्य आर्थिक सिद्धांत का खंडन करती है.

रिपोर्ट में जिन आंकड़ों का हवाला दिया गया, वे सिर्फ दो तालिकाओं तक सीमित थे, और इनमें कोई स्पष्ट गणना या उस गणना को करने का तरीका नहीं था जिससे उनके दावों को सत्यापित किया जा सके. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उन्होंने चुनिंदा खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन यह नहीं बताया कि ये वस्तुएं कैसे और क्यों चुनी गईं. यह डेटा को चुन-चुनकर इस्तेमाल करने जैसा है, जो किसी भी निष्कर्ष को संदिग्ध बनाता है.

वास्तविक GST आंकड़े
विधु शेखर के अनुसार, ऑक्सफैम की रिपोर्ट की सही जांच करने के लिए उन्होंने NSSO के 2022-23 के नवीनतम उपभोक्ता आंकड़ों का गहन विश्लेषण किया और 400 से अधिक वस्तुओं पर सटीक GST दरें लागू कीं. इसके बाद जो निष्कर्ष आए उन्होंने ऑक्सफैम के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया.

उनकी कैलकुलेशन के अनुसार, 2022-23 में घरेलू GST संग्रहण 6.19 लाख करोड़ रुपये था, जो कुल GST राजस्व का 34 प्रतिशत है. बाकी GST व्यापार और सरकारी खपत से आता है. यह आंकड़ा ऑक्सफैम के दावे से बिल्कुल विपरीत है कि गरीब तबके के लोग 64 प्रतिशत GST का योगदान करते हैं. निचले 50 प्रतिशत आबादी द्वारा केवल 28 प्रतिशत घरेलू GST और कुल GST का 9.6 प्रतिशत भुगतान किया जाता है, जबकि अमीर 10 प्रतिशत लोग घरेलू GST का 26.63 प्रतिशत और कुल GST का 14.2 प्रतिशत योगदान करते हैं.

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