500 साल पुराने इस मंदिर में मौजूद प्रतिमाओं की कोई नहीं कर सकता गिनती, दिलचस्प है कहानी


बीकानेर: राजस्थान के हर जिले में भव्य किले, सुंदर महल और रहस्यमयी मंदिर हैं. बीकानेर का एक मंदिर तो इतना अनोखा है कि लोग इसे चमत्कारी बताते हैं. मंदिर से सुनी कई कहानियां सुनाई जाती है. लोग सालों से यहां पूजा कर रहे हैं, लेकिन  आजतक कोई प्रतिमाओं की गिनती नहीं कर पाया है. हर बार टोटल मूर्तियों का एक अलग नंबर आता है. इसी मंदिर की दिलचस्प जानकारी आज हम आपके लिए लेकर आए हैं.

शिवबाड़ी मंदिर का इतिहास
शिवबाड़ी मंदिर 500 साल पुराना है, जिसे महाराजा डूंगर सिंह ने 19वीं शताब्दी में बनवाया था. संतान प्राप्ति के लिए इस मंदिर को बनाया था. भगवान शिव के अलावा यहां भागवत कथा में बताए गए हर एक देवी-देवता की प्रतिमा लगी है. लोग इस मंदिर को डूंगरेश्वर महादेव मंदिर भी कहते हैं. हर महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में मेला लगता है.

प्रतिमाओं का रहस्य
यह मंदिर इसलिए अलग है क्योंकि यहां की प्रतिमाओं का रहस्य सालों से सामने नहीं आया है. प्रतिमाओं को हर बार गिनने पर एक अलग आंकडा सामने आता है. शुरू से अंत और अंत से शुरू तक, लोग प्रतिमाओं को कई बार गिन चुके हैं. लेकिन संख्या हर बार अलग होती है. इस परिसर की हर प्रतिमा पर भगवान का नाम लिखा है.

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खास है यहां की दीवारें
इस मंदिर की हर दीवार अनोखी है. किसी पर सालों पुरानी पेंटिंग दिखती है. शिव-पार्वती, राम-सीता, कृष्ण और संगीतकार आदि नजर आते हैं. तो कुछ दीवारों पर लोगों ने अपील की है. लाल बलुआ पत्थर से मंदिर बना है, जिसके हर एक हिस्से पर बारीक काम देखने के लिए मिलता है.

सावन में लगती है लंबी कतारें
सावन के महीने में दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आते हैं. पूरे दिन अभिषेक होता है. भगवान शिव का सोने से श्रृगांर किया जाता है. ऐसे में मंदिर में दिन-रात पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं. सावन के मौके पर इस मंदिर में खास मेला लगता है.

कैसे पहुंचे
यह मंदिर बीकानेर से 20 किलोमीटर की दूरी पर बना है. ट्रेन या बस से बीकानेर पहुंचकर आप इस मंदिर में जा सकते हैं. बीकानेर के कई हिस्सों से शिवबाड़ी तक के लिए ऑटो भी चलते हैं. सावन के महीने और शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में बहुत भीड़ लगती है.

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