5000 नेताओं को फांसी…, अमेरिका से पंगा, इजरायल पर हमला, ईरानी राष्ट्रपति रईसी का विवादों से रहा नाता


Ebrahim Raisi: ईरान के 8वें और वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी मीडिया के सुर्खियों में बने हुए हैं. उनको ले जा रहे एक हेलीकॉप्टर रविवार की शाम को हादसे का शिकार हो गया. मौके पर पहुंचे बचाव कर्मियों का तब से संपर्क नहीं हो सका है. उनको खोजने के लिए ईरान की पूरी आर्मी लगा दी गई है. ईरान के सिद्धांतवादी राजनीतिज्ञ, मुस्लिम न्यायविद् और 2021 में राष्ट्रपति चुने गए थे. ईरान के 63 वर्षीय नेता राजनेता बनने से पहले ईरान के चीफ जस्टिस के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

ईरान के कट्टरपंथी नेता रईसी लंबे समय से ईरान के सुप्रीम लिडर अयातुल्ला अली खामनेई के विश्वासपात्र रहे हैं. उनको देश के शिया धर्म के लिए उन्हें खामनेई के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता रहा है. रईसी 1988 में कैदियों की सामूहिक फांसी में शामिल होने के कारण पहले से ही अमेरिका और अन्य देशों से प्रतिबंधों का सामना करते रहे. वह 2017 में उनसे अपेक्षाकृत उदारवादी मौलवी हसन रूहानी से राष्ट्रपति पद के चुनाव में हार गए थे. रूहानी राष्ट्रपति के रूप में विश्व शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते पर पहुंचे थे.

2021 में बने राष्ट्रपति
वर्ष 2021 में रईसी ने फिर से चुनाव लड़ा, अबकी बार ईरान की जांच एजेंसी ने उनके सभी प्रमुख विरोधियों को चुनाव लड़ने से ही रोक दिया गया था. उन्हें 2.89 करोड़ मतों में से लगभग 62 प्रतिशत वोट मिले थे. यह इस इस्लामिक गणराज्य के इतिहास में प्रतिशत के हिसाब से सबसे कम मतदान था. राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के बाद जब पत्रकारों ने रईसी से 1988 की सामूहिक फांसी के बारे में पूछा तो, वह मंच छोड़ कर चुपचाप उतर गए थे और सवाल का जवाब नहीं दिया. सन् 1988 में ईरान में जिन लोगों को सामूहिक रूप से फांसी दी गई थी, उनमें राजनीतिक बंदी, उग्रवादी और अन्य लोग शामिल थे.

1988 में विपक्षी नेताओं को क्यों मारा?
1988 में ईरान में सरकार और विपक्ष के बीच विवाद चल रहा था. तत्कालीन सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रुहुल्ला खुमैनी द्वारा संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी. यूएन की मदद से संघर्षविराम को स्वीकार किया गया. तभी ईरानी विपक्षी पार्टी के समूह ‘मुजाहिदीन-ए-खल्क’ के कुछ सदस्यों ने इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन की मदद से भारी हथियारों से लैस होकर इराक-ईरानी सीमा पर धावा बोल दिया, हालांकि ईरान ने उनके हमले को विफल कर दिया था.

विपक्ष पर कार्रवाई
सत्ताधारी दल ने उसी समय विपक्ष पर मुकदमे करने शुरू कर दिए. प्रतिवादियों से अपनी पहचान बताने को कहा गया. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘मुजाहिदीन’ का जवाब देने वालों को तुरंत मौत के घाट उतार दिया गया था. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों का अनुमान है कि कम से कम 5,000 लोगों को फांसी दी गई थी. रईसी फांसी की सजा देने वाले आयोग से जुड़े थे.

ईरान में किसका है शासन
ईरान में 85 वर्षीय सर्वोच्च नेता/ सुप्रीम लिडर अयातुल्ला अली खामनेई का शासन है, वहीं राष्ट्रपति के रूप में, रईसी ने देश सैन्य मजबूती के लिए परमाणु हथियार पर जोर दिया. इसके लिए उन्होंने यूरेनियम के संवर्धन पर पुरजोर समर्थन किया. उनके इसी विजन की वजह से पश्चिमी देशों के साथ टकराव जारी रहा.

इजरायल पर हमले की कर चुके है समर्थन
रईसी ने इसी साल अप्रैल में इजराइल पर पलवार करते हुए सैन्य हमले का भी समर्थन किया था. इस हमले में ईरान ने इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइल दागीं थीं. यह हमला सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास परिसर में संदिग्ध इजराइली हमले में ईरान के जनरलों के मारे जाने के बाद किया गया था.

इस्लाम के नियमों से कोई समझौता नहीं
रईसी ने देश की सुरक्षा संबंधी से सेवाओं से कभी समझौता नहीं किया. देश के प्रति सभी असहमतियों पर नकेल कसी. 2022 में हिजाब पहनने का विरोध करने के बाद महसा अमीनी की मौत और उसके बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद भी वे अपने सिद्धांतो नहीं हटे. महीनों तक चली सुरक्षा कार्रवाई में 500 से अधिक लोग मारे गए और 22,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया.

Tags: Ebrahim Raisi, Iran



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