545 स्टेशनों पर रेलवे ने अचानक क्यों बढ़ा दी निगरानी? 90 दिन तक रहेगी चौकसी, वजह उड़ा देगी होश
जयपुर: तेज़ गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है. रेलवे के लिए तेज़ सर्दी और तेज़ गर्मी दोनों ही बड़ी चुनौती वाले मौसम है. सर्दियों में रेलवे की पटरियां जहां सिकुड़ती है वहीं तेज़ गर्मी में रेल की पटरियां डि-शेप होती है या फिर बकलिंग की समस्या सामने आती है. दोनों ही सूरत में रेलें बड़े हादसे का शिकार हो सकती है. इसके लिए NWR ने चारों मंडल के तहत रेलवे ट्रैक की निगरानी शुरू कर दी है.
अप्रेल के महीने में तेज़ गर्मी का अहसास होने लगा है. मई और जून में पारा लगातार बढ़ता जाएगा. बढ़ते हुए पारे का सीधा असर रेल की पटरियों पर नज़र आता है. रेलवे की भाषा में इसे बकलिंग कहते है और आसान भाषा में समझा जाए तो रेलवे की पटरियों का आकार तेज़ गर्मी से बदलने लगता है. तेज़ दौड़ी रेलों के लिए बकलिंग वाली पटरियां बेहद घातक सिद्ध हो सकती है.
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545 रेलवे स्टेशनों की पटरियों पर निगरानी
NWR की माने तो हर साल की तरह इस साल भी बीकानेर, जोधपुर, अजमेर और जयपुर मंडल के तहत आने वाले लगभग 545 रेलवे स्टेशनों की पटरियों पर निगरानी शुरू कर दी गई है. किसी भी पटरी में बकलिंग की स्थिति में फौरन हेडक्वार्टर को सूचना दी जाती है और उस रूट पर रेल को रोक कर पटरी को ठीक किया जाता है. उसके बाद रेल को पटरियों से जाने की अनुमति मिलती है.
जुलाई के आखिरी तक चलेगी निगरानी
NWR के तहत चारों मंडल में लगभग 5100 किलोमीटर ट्रैक आता है. रेल की पटरियों की ये निगरानी जुलाई अंत तक चलती रहेगी. मई और जून में बकलिंग का खतरा सबसे ज़्यादा रहता है. ऐसे में संवेदनशील और लंबे रूट के रेलवे ट्रैक पर निरंतर निगरानी चलती है. ज़रूरत पड़ने पर पुरानी पटरियों को बदला भी जाता है. फिलहाल NWR पूरी तरह से सतर्कता बरतने का दावा कर रहा है और यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए पटरियों पर बना हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : April 18, 2024, 20:23 IST