70 दिन में ही इस फसल से होगी तगड़ी कमाई, बीज पर मिल रही है भारी छूट, कभी खत्म नहीं होती इसकी डिमांड
कुंदन कुमार/गया: किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए इस बार बिहार में कृषि विभाग बड़े पैमाने पर स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती को बढ़ावा दे रहा है. गया जिले में लगभग 300 एकड़ में स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती हो रही है और किसानों को 50% छूट पर बीज उपलब्ध कराया गया है. बता दें कि स्वीट कॉर्न मक्के की ही एक बेहद मीठी किस्म है. स्वीट कॉर्न की प्रजाति वाले मक्के को पकने से पहले ही इसे दूधिया अवस्था में काट लिया जाता है. स्वीट कॉर्न मूल रूप से मक्के की ही एक प्रजाति है और इसका इस्तेमाल सब्जी, सलाद, स्नैक्स, सूप और चाट आदि के रूप में किया जाता है.
स्वीट कॉर्न की रहती है तगड़ी डिमांड
भारत के साथ-साथ स्वीट कॉर्न को दूसरे देशों में भी काफी ज्यादा पसंद किया जाता है. स्वीट कॉर्न में विटामिन, मिनरल और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है. इस वजह से स्वास्थ्य के प्रति सजग लोग भी इसे काफी पसंद करते हैं. यही वजह है कि स्वीट कॉर्न की डिमांड को पूरा करना कभी-कभी बड़ी चुनौती बन जाता है.
स्वीट कॉर्न की खेती बिल्कुल मक्का की खेती की ही तरह ही की जाती है. हालांकि, स्वीट कॉर्न की खेती में मक्के को पकने से पहले ही तोड़ लिया जाता है, इसलिये किसानों को कम समय में ही अच्छा मुनाफा हो जाता है. इसलिये अगर किसान वर्षों से चली आ रही फसली खेती कर रहे हैं तो उसकी तुलना में स्वीट कॉर्न की खेती कर दोगुना कमा सकते हैं.
प्रति एकड़ हो सकता है इतना मुनाफा
स्वीट कॉर्न की खेती से किसान प्रति एकड 80 हजार रुपए तक मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं बेबी कॉर्न भी मक्के की ही प्रजाति है जो 70 दिनों में तैयार हो जाती है. बेबी कॉर्न में बुवाई के 50-55वें दिन फल आ जाता है और शुरुआती दिनों में ही इसकी हार्वेस्टिंग कर ली जाती है. पिछले वर्ष तक गया जिले में 12 एकड़ में स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती कराई गई थी. इस बार लगभग 300 एकड़ में इसकी खेती हो रही है.
इस संबंध में गया जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह बताते हैं कि इस बार किसानों को 50% अनुदान पर बीज उपलब्ध कराया गया है जिसमें 142 एकड़ में बेबीकाॅर्न और 163 एकड में स्वीटकॉर्न का लक्ष्य दिया गया था. किसान इसकी बुवाई शुरु कर दिए हैं. मक्के की यह प्रजाति 70-75 दिनों की है.
अजय कुमार ने बताया कि स्वीटकॉर्न में किसान इस बात का ध्यान जरुर रखें की फल मिल्किंग स्टेज में आ जाए तो उसकी हार्वेस्टिंग तुरंत कर लें नहीं तो उसमें मौजूद ग्लूकोज प्रोटीन में कन्वर्ट हो जाता है. इससे तापमान बढ़ने से उसकी मिठास खत्म होने लगती है. बेबीकाॅर्न की बात करें तो यह भी 70 दिनों की फसल है और इसमें प्रति एकड़ 10 किलो बीज की जरुरत होती है. इसमें जैसे ही फल आ जाए और सिल्क स्टेज में आ जाए तो इसकी हार्वेस्टिंग कर लेनी चाहिए.
Tags: Agriculture, Local18
FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 17:35 IST