73 साल की मां के लिए नौकरी छोड़ी, कराई 4 देश और 80 हजार Km की यात्रा, जानें कलयुग के श्रवण कुमार को



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कुल्लू. 73 वर्षीय मां ने जब तीर्थाटन की इच्छा जताई तो बेटे ने पल भर भी नहीं सोचा और नौकरी से रिजाइन कर दिया ताकि मां को तीर्थ घुमा सके. इसके बाद वो स्कूटर से ही मां को लेकर निकल गया और साढें 5 सालों में न केवल 80 हजार किलोमीटर की यात्रा की बल्कि 4 देशों को भी घूम लिया.

कहानी कर्नाटक के जिला मैसूर के रहने वाले 44 वर्षीय डी कृष्णा कुमार की है. उन्होंने अपनी 73 वर्षीय मां खुदा रत्ना को लेकर मातृ सेवा संकल्प यात्रा 5 जनवरी 2018 को मैसूर से शुरू की थी. पिछले साढे 5 वर्षों में कृष्ण कुमार ने अपनी माता को 4 देशों की यात्रा स्कूटर पर करवाई है जिसमें करीब 80000 किलोमीटर तक स्कूटर पर भ्रमण कर पूरे देश को मातृत्व सेवा संदेश दिया है. कृष्ण कुमार अपनी माता के साथ देव भूमि हिमाचल के कुल्लू मनाली पहुंचे.

कुल्लू मनाली पहुंचे कृष्ण कुमार और उनकी माता खुदा रत्ना देवी देवताओं के मंदिर हरे-भरे जंगल नदी झरने देखकर खुश हैं, ऐसे में देव भूमि हिमाचल मैं पिछले 15 दिनों से देवी देवताओं के दर्शन कर हिमाचल भ्रमण का आनंद ले रहे हैं. डी कृष्णा ने कहा कि अभी तक 5 वर्षों में करीब 80000 किलोमीटर यात्रा स्कूटर पर की है जिसमें नेपाल, भूटान, मयंमार और पूरे भारत में अपनी माता को घुमाया है. उन्होंने कहा कि इस दौरान सभी धार्मिक स्थलों मठ मंदिर आश्रम दिखा रहा हूं. उन्होंने कहा कि 73 वर्षीय मां 10 परिवार वाले सदस्यों के लिए देखरेख खाना पीना घर का काम करती थी. 5 वर्ष पहले एक दिन बातों ही बातों में माता ने घूमने फिरने की इच्छा जाहिर की.

उन्होंने कहा कि उसी दिन नौकरी को त्यागपत्र देकर 2018 से मात्र सेवा संकल्प यात्रा पर निकला हूं. मां के साथ निकले कृष्णा ने कहा कि 20 वर्ष पहले पिता ने स्कूटर भेंट की थी. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दी गई भेंट स्वरूप स्कूटर पर अपनी माता को 80000 किलोमीटर का सफर कराया है. कृष्णा ने कहा कि माता-पिता के जीवित रहते उनकी सेवा करना चाहिए, जिन्होंने बचपन से लेकर युवा होने तक कई कष्ट सहे हैं जिसमें अपने सारे सपने छोड़कर बच्चों का जीवन सुंदर बनाते हैं. उन्होंने कहा कि माता-पिता की इच्छा के अनुसार उनको सेवा करनी चाहिए जिससे अंतर आत्मा को शांति मिलती है.

कृष्णा ने 13 साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में टीम लीडर के तौर पर काम किया है. उन्होंने कहा कि एक सादा जीवन जीने के लिए मैंने जितना पैसा चाहिए था उतना कमाया उसके बाद नौकरी को त्यागपत्र दिया और उसके बाद मातृ सेवा संकल्प यात्रा शुरू की है. उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को जीवन संभालने के लिए पूरी जिंदगी लगा देते हैं ऐसे में उनके लिए कुछ वक्त निकाल कर उनको जो शौक है उसको पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए.

73 वर्षीय खुदा रत्ना ने बताया कि 65 वर्ष की उम्र तक मैंने घर में कामकाज किया. इसके सिवाय बाहर कभी भी नहीं निकली थी. उन्होंने कहा कि मेरे बेटे कृष्णा ने मेरे शौक को पहचाना और जिसके बाद मुझे 4 देशों में घुमाया है जिसमें भारत नेपाल भूटान मयमार देश शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हमारे भारत में कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर तक हर तीर्थ स्थलों पर देवी देवताओं के दर्शन करवाए हैं और कई नदियों में संगम स्नान कर मेरा जीवन सार्थक किया है. उन्होंने कहा कि जन्म देने वाले माता पिता का ऋण चुकाने के लिए इस संकल्प के साथ मेरी सेवा कर रहा है. इस तरह का पुत्र मिलना बहुत मुश्किल है.

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