75 नहीं 55 दिन में होगी फसल तैयार! इस नई विधि से करें शक्करकंद और तरबूज की खेती, होगी छप्परफाड़ कमाई
Agency:Local18
Last Updated:
Sweet Potato Watermelon Farming: बनासकांठा के किसान शक्करकंद और तरबूज की वैज्ञानिक खेती विधियों से फसल को रोगों से बचाकर कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. डॉ. योगेश पवार ने किसानों को खेती के लिए विश…और पढ़ें
![75 नहीं 55 दिन में होगी फसल तैयार!इस नई विधि से करें शक्करकंद और तरबूज की खेती 75 नहीं 55 दिन में होगी फसल तैयार!इस नई विधि से करें शक्करकंद और तरबूज की खेती](https://i0.wp.com/images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/IMAGES-2025-02-06T163807.922-2025-02-d73c799d9a56c460a2335ab388069386.jpg?resize=640%2C480&ssl=1)
शकरकंद और तरबूज की खेती
हाइलाइट्स
- शक्करकंद और तरबूज की फसल 55 दिनों में तैयार होगी.
- मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई और जैविक खाद का उपयोग करें.
- रोग नियंत्रण के लिए ट्रैप और जैविक फफूंद का उपयोग करें.
बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले में गर्मी के मौसम के साथ ही शक्करकंद और तरबूज की बुवाई शुरू हो जाती है. जिले के किसान हर साल लगभग 3200 हेक्टेयर क्षेत्र में इन फसलों की बुवाई करते हैं. बनासकांठा का शक्करकंद राजस्थान, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर तक प्रसिद्ध है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से किसान रोगों और उत्पादन में कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं. इस साल कैसे किसान शक्करकंद और तरबूज में अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, इस पर कृषि वैज्ञानिक ने विशेष विधि के बारे में विस्तृत जानकारी दी है.
75 की बजाय केवल 55 दिनों में उत्पादन
डीसा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. योगेश पवार ने बताया कि शक्करकंद और तरबूज के पौधों द्वारा बुवाई करने से नेमाटोड और फफूंदजन्य रोगों को रोका जा सकता है. इस विधि से खेती का खर्च और पानी की बचत होती है और 75 की बजाय केवल 55 दिनों में उत्पादन शुरू हो जाता है.
शक्करकंद और तरबूज की बुवाई विधि में मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई का उपयोग अनिवार्य है. शुरुआत में मल्चिंग के साथ क्यारियां बनाकर, नमी देने के बाद सुबह-शाम पौधों की फेर बुवाई करनी चाहिए. बुवाई के समय जड़ों को न टूटने का ध्यान रखना जरूरी है.
100 पौधों से 1.5 लाख.. गुजराती किसान ने लगाई नींबू की ये खास किस्म और आ गया पैसा ही पैसा
रासायनिक खाद का उपयोग कम करें
खाद प्रबंधन में रासायनिक खाद का उपयोग कम करना चाहिए. आधार में सड़ी हुई खाद और नीम की खली देना आवश्यक है. नए पत्ते निकलने पर माइकोराइजा और ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक फफूंद का उपयोग करने से जड़ों का विकास अच्छा होता है.
मक्खी के नियंत्रण के लिए ट्रैप का उपयोग करें
नेमाटोड की समस्या वाले क्षेत्रों में पेसिलोमाइसिस या पोकोनिया बैक्टीरिया का उपयोग करना चाहिए. सिंचाई प्रबंधन में शुरुआत में 4-5 दिन में सिंचाई देना और फूल अवस्था के दौरान आवश्यकता अनुसार बढ़ाना चाहिए. फूल अवस्था के दौरान फल मक्खी के नियंत्रण के लिए ट्रैप का उपयोग करना चाहिए. सूक्ष्म तत्वों की कमी वाले क्षेत्रों में मिक्स माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करना आवश्यक है. फल की आकार बढ़ने की शुरुआत में सूखा रोग के नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा, स्यूडोमोनास जैसे जैविक फफूंद या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और मेटालेक्सिल का उपयोग किया जा सकता है. इन सभी वैज्ञानिक विधियों का पालन करने से किसान रोगों से बचकर शक्करकंद और तरबूज की खेती में अच्छा उत्पादन और अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं.
February 06, 2025, 16:42 IST