80 Years Old Death At Mumbai Airport Highlights Indifference Towards Disabled And Elderly People Lack Of Wheelchair Assistance – बुजुर्गों और दिव्यांगों से ऐसी बेरुखी क्यों? मुंबई एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर नहीं मिलने से 80 साल के पैसेंजर की मौत
दिव्यांग लोगों को कैसे जाने दे सकते हैं- मिट्टी कैफे की फाइंडर
पूरी तरह दिव्यांगों से ऑपरेट होने वाली ‘मिट्टी कैफे’ की फाउंडर अलीना आलम ने NDTV से कहा, “ये बहुत दुखद हादसा है. व्हीलचेयर तो बेसिक राइट है. जैसे सीटबेल्ट लगाये बिना आप प्लेन नहीं उड़ाते, बिना व्हीलचेयर के बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों को कैसे जाने दे सकते हैं? इसके लिए नियम बनना चाहिए.” अलीना आलम ने आगे कहा, “मेरी मां के साथ भी ऐसा हो चुका है. व्हीलचेयर समय पर ना मिलना इतना आम क्यों है? सिर्फ मुंबई एयरपोर्ट ही नहीं, बल्कि बाकी जगहों पर भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि जरूरतमंद को तुरंत व्हीलचेयर की मदद मिल जाए. इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जिम्मेदार को सजा मिलनी चाहिए.”
सरकार को फ़ौरन ध्यान देने की जरूरत- दिव्यांग डबिंग आर्टिस्ट
दिव्यांग आर्टिस्ट सिकंदर खान ने कहा, “व्हीलचेयर की समस्या हमेशा अलग-अलग जगहों पर होती रहती है. मांगने के काफी समय बाद व्हीलचेयर मिलती है. मुंबई एयरपोर्ट पर हुई घटना से परेशान हूं. एयरलाइन-एयरपोर्ट और सरकार को फ़ौरन ध्यान देने की ज़रूरत है.” बता दें सिकंदर खान, अमिताभ बच्चन के डबिंग आर्टिस्ट हैं. उनके पैर पोलियोग्रस्त हैं. इनका करीब 65-70% शरीर काम नहीं करता.
एविएशन एक्सपर्ट बोले- ये ब्रीच ऑफ कॉन्ट्रैक्ट का मामला
एविएशन एक्सपर्ट और वकील डॉ. विपुल सक्सेना ने भी इस पूरे मामले पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, “जब पैसेंजर टिकट बुक करता है और पहले से व्हीलचेयर ऑप्ट करता है, तो इसका मतलब कि एक तरह से एयरलाइन के साथ लीगल बातचीत हुई है. यानी अगर बुक करने के बाद भी उन्हें नहीं व्हीलचेयर नहीं मिला, तो ये ब्रीच ऑफ कॉन्ट्रैक्ट कहलाएगा. ऐसे में एयरलाइन की पूरी जिम्मेदारी बनती है. अगर डिमांड ज़्यादा है, तो एक्सट्रा व्हीलचेयर रखनी चाहिए. इस मामले की जांच होनी चाहिए, ताकि पता चले कि आखिर चूक कहां हुई?”
पत्नी को व्हीलचेयर पर बिठाया और खुद पैदल चले
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मूल के बुजुर्ग के पास US का पासपोर्ट था. वो अपनी पत्नी के साथ एअर इंडिया की फ्लाइट AI-116 की इकोनॉमी क्लास में आए थे. ये फ्लाइट 11 फरवरी को न्यूयॉर्क से रवाना हुई थी. 12 फरवरी को मुंबई एयरपोर्ट पर इसकी लैंडिंग हुई.
दरअसल, बुजुर्ग दंपति ने पहले से व्हीलचेयर पैसेंजर्स के रूप में टिकट बुक की थी. हालांकि, मुंबई एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर की किल्लत के कारण उन्हें सिर्फ एक व्हीलचेयर मिली. बुजुर्ग ने अपनी पत्नी को उस पर बैठाया और खुद पैदल चलने लगे.
फ्लाइट में थे 32 व्हीलचेयर पैसेंजर्स
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जिस फ्लाइट से बुजुर्ग दंपति मुंबई आए थे, उसमें 32 व्हीलचेयर पैसेंजर्स थे. गौर करने वाली बात है कि मुंबई एयरपोर्ट पर इस फ्लाइट के लिए सिर्फ 15 व्हीलचेयर मौजूद थीं.
एअर इंडिया ने मामले पर दी सफाई
एअर इंडिया ने पूरे मामले को लेकर सफाई दी. एयरलाइन कपंनी ने कहा- “व्हीलचेयर की भारी मांग के कारण उन्होंने बुजुर्ग पैसेंजर को इंतजार करने के लिए कहा था. हालांकि, उन्होंने अपनी पत्नी को व्हीलचेयर पर बिठाकर खुद पैदल चलने का विकल्प चुना था.”
एअर इंडिया ने कहा कि वह दुख की घड़ी में इस परिवार के सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में है. उन्हें जरूरी सहायता दी जा रही है. एयरलाइंस की तरफ से कहा गया है कि व्हीलचेयर की प्री-बुकिंग करने वाले सभी यात्रियों को व्हीलचेयर देने की स्पष्ट नीति है. हालांकि, इस घटना पर खबर लिखे जाने तक मुंबई एयरपोर्ट ऑपरेटर MIAL की ओर से कोई बयान नहीं आया है.
एयरपोर्ट और फ्लाइट में दिव्यांगों और बुजुर्गों के क्या हैं अधिकार?
सेंट्रल एविएशन डिपार्टमेंट के मुताबिक, एयरपोर्ट और फ्लाइट में दिव्यांगों और बुजुर्गों के कई अधिकार हैं. उन्हें आम यात्रियों की तुलना में कई सुविधाएं देने के नियम हैं:-
-कोई भी एयरलाइन किसी दिव्यांग को साथ में अटेंडेंट, असिस्टिव डिवाइस जैसे व्हीलचेयर, प्रोस्थेटिक यानी आर्टिफिशियल बॉडी पार्ट, वॉकिंग क्रचेज प्लेन में ले जाने से मना नहीं कर सकती. बशर्ते इस बारे में बुकिंग के समय एयरलाइन को उनकी जरूरत के बारे में सूचित कर दिया गया हो.
-एयरलाइंस को दिव्यांगों को दी जाने वाली सभी फैसिलिटी के बारे में अपनी वेबसाइट पर बताना होता है, ताकि बुकिंग के दौरान दिव्यांग पैसेंजर जरूरत के हिसाब से सुविधा मांग सके.
-अगर किसी दिव्यांग व्यक्ति को फ्लाइट में किसी मोबिलिटी इक्विपमेंट या सहायक की जरूरत हो तो उन्हें फ्लाइट के शेड्यूल्ड डिपार्चर टाइम से 48 घंटे पहले बताना होता है.
-कन्फर्म टिकट वाले दिव्यांग व्यक्ति को एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद एयरलाइन उसकी जरूरत के हिसाब से सुविधा देती है. जैसे कि उसे डिपार्चर टर्मिनल से फ्लाइट में ले जाने और फिर फ्लाइट से अराइवल टर्मिनल के एग्जिट पॉइंट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एयरलाइन की होती है. इसका कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं होता.
-एयरलाइंस को दिव्यांग पैसेंजर्स के चेक-इन लगेज पर ‘Assistive Device’ का टैग लगाना जरूरी होता है. इससे उनके लगेज की डिलीवरी होने में आसानी होती है.
-फ्लाइट से एयरपोर्ट तक यात्रियों को लाने और ले जाने वाले वाहनों में चढ़ाने के लिए व्हीलचेयर की सुविधा होनी चाहिए.
-अगर एयरपोर्ट पर 50,000 फ्लाइट्स हर साल आती-जाती हैं तो सीनियर सिटीजन और दिव्यांगजनों के लिए एयरपोर्ट टर्मिनल से बोर्डिंग गेट तक फ्री ऑटोमैटिक साधन.
-अगर दिव्यांग या बुजुर्ग पैसेंजर को लगता है कि बोर्डिंग गेट पैदल चलने पर ज्यादा दूर है, तो भी वह गाड़ी की मांग कर सकता है.
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