90 Year Old Man Arrested In 42 Year Old Case Of Adulteration Of Buffalo Milk Appeals To Supreme Court – दूध में मिलावट के 42 साल पुराने केस में गिरफ्तार हुआ 90 साल का बुजुर्ग, SC से लगाई न्याय की गुहार



u7gv2fgo court 90 Year Old Man Arrested In 42 Year Old Case Of Adulteration Of Buffalo Milk Appeals To Supreme Court - दूध में मिलावट के 42 साल पुराने केस में गिरफ्तार हुआ 90 साल का बुजुर्ग, SC से लगाई न्याय की गुहार

इलाहाबाद हाईकोर्ट  के 2013 के एक फैसले के आधार पर 90 वर्षीय वीरेंद्र कुमार को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने कोर्ट के फैसले के 30 दिनों के भीतर सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण नहीं किया था. उनके वकील अजेश कुमार चावला ने मंगलवार  को जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की एक अवकाशकालीन पीठ के सामने मामले को उठाया.

पीठ ने कहा कि  हाईकोर्ट  के आदेश के खिलाफ उनकी अपील लंबित और जमानत के लिए  याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेंगे. ये भी खास ही बात है कि हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के लगभग 26 साल बाद दोषसिद्धि को बरकरार रखा था.

वीरेंद्र कुमार को 7 अक्टूबर, 1981 को  फूड इंस्पेक्टर द्वारा पतला दूध बेचते हुए पाया गया था. उस समय वह 48 साल के थे और उन्होंने बस कंडक्टर होने का भी दावा किया था. खुर्जा न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 29 सितंबर, 1984 को पीएफए ​​अधिनियम के तहत दोषी ठहराया. इसे 14 जुलाई, 1987 को बुलंदशहर सेशन कोर्ट ने बरकरार रखा था. ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील को 30 जनवरी 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था.

फूड इंस्पेक्टर द्वारा लिए गए नमूनों के अनुसार, दूध मिलावटी था. क्योंकि वसायुक्त ठोस पदार्थ मानक से 28% कम थे और गैर-वसायुक्त ठोस मानक से 12% कम थे. वीरेंद्र कुमार ने ट्रायल कोर्ट के सामने दलील दी थी कि वह एक बस कंडक्टर थे और दूध बेचने के व्यवसाय में नहीं थे. 7 अक्टूबर, 1981 को वह धार्मिक उद्देश्यों के लिए दूध ले जा रहे थे.

ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों की जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ग्राम किर्यावली से कल्याणपुर के बीच की दूरी लगभग 19 किलोमीटर है. यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि कोई भी व्यक्ति केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए दूध लेने के लिए 38 किलोमीटर की यात्रा करेगा.

जब अभियुक्त के वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि मामला 42 साल पुराना है और वह पहले से ही 90 वर्ष का है, तो हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन सजा को घटाकर छह महीने कर दिया. जुर्माने की राशि 2000 रुपये बरकरार रखी गई. अदालत ने दोषी को 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. ऐसा नहीं करने पर निचली अदालत से गैर-जमानती वारंट जारी करने को कहा गया था.

हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के एक दशक से भी अधिक समय बीतने के बाद पिछले महीने वारंट तामील किए गए और उन्हें  महीने की सजा काटने के लिए हिरासत में ले लिया गया था. वीरेंद्र कुमार के वकील अजेश कुमार चावला ने कहा है बुजुर्ग गंभीर रूप से बीमार हैं. उन्हें इलाज के लिए जमानत पर रिहा करने की जरूरत है.

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