A plan has been made to bring light to the earth by installing a mirror in the scientific space of Scotland know how it will work

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‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’ ये कहावत आपने कभी ना कभी सुनी ही होगी. दुनियाभर के वैज्ञानिक भी इस कहावत का फॉलो करते हुए बहुत सारे रिसर्च करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे प्रयोग के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में सुनकर आप भी आश्चर्य होंगे. जी हां स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने धरती पर 24 घंटे उजाला रखने के लिए स्पेस में शीशा लगाने का प्लान बनाया था. आज हम आपको उसी के बारे में बताने वाले हैं.

स्पेस को लेकर रिसर्च जारी

दुनियाभर के स्पेस एजेंसी लगातार अंतरिक्ष की रहस्यमयी दुनिया को समझने और कुछ नया खोजने के लिए काम कर रही है. स्कॉटलैंड ने भी इसी क्रम में बड़ा कदम उठाया है. ये बात तो हम सभी लोग जानते हैं कि सोलर ऊर्जा के जरिए प्राकृतिक तरीके से हम धरती पर बड़ा ऊजा का केंद्र स्थापित कर सकते हैं. कई देश इसको बड़े पैमाने पर लागू भी कर चुके हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. लेकिन सोलर ऊर्जा के साथ एक समस्या ये है कि रात में सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती है, स्कॉटलैंड ने इसी दिक्कत को दूर करने का प्रयास किया है. 

धरती पर 24 घंटे रहेगा उजाला?

बता दें कि धरती पर हर समय सौर्य ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए स्कॉटलैंड के ग्लासगो विश्वविद्यालय के इंजीनियरों की एक टीम अंतरिक्ष में परावर्तकों यानी रिफ्लेक्टर का उपयोग करने की एक परियोजना पर काम कर रही है. सोलस्पेस नामक इस पहल को यूरोपीय अनुसंधान परिषद (ईआरसी) से 2.5 मिलियन यूरो (2.75 मिलियन डॉलर) का अनुदान मिला है, जिससे शाम से सुबह तक सौर ऊर्जा प्रवाहित करने के तरीकों पर रिसर्च हो सके.

ये कैसे करेगा काम?

जब तक ये रिसर्च पूरा नहीं हो जाता है, तब तक ये कहना मुश्किल है कि ये किस तरीके से काम करेगा. लेकिन शुरूआती जानकारी के मुताबिक ग्रह के चारों ओर कक्षा में बड़े अल्ट्रा-लाइटवेट रिफ्लेक्टर लगेंगे, जो सूर्य के प्रकाश को बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा फार्मों पर परावर्तित करेंगे. ये रिफ्लेक्टर विशेष रूप से सूर्यास्त और सूर्योदय के समय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाएंगे, जब प्रकाश की कमी के कारण ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है. हालांकि परियोजना अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, इसलिए बहुत सारे सवालों के जवाब नहीं है. 

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