A Robust Economy Is On The Cards As Development Rate Of GDP Suggests And It Shows India Is On The Track


India’s latest GDP: एनएसओ यानी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े कुछ दिनों पहले जारी किए. ये चौथी तिमाही के आंकड़े हैं और अनुमान से काफी बेहतर रहे हैं. एनएसओ के मुताबिक भारत की जीडीपी विकास दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही है. हालांकि, 2021-22 में यह अनुमान 9.1 प्रतिशत था.  भारत ने पिछली तिमाही में 4.4 प्रतिशत की तुलना में 6.1 प्रतिशत की जीडीपी बढ़त दर्ज की है. चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर ने अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है. आरबीआई ने पहली तिमाही के दौरान 5.1 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था. वहीं पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी की बढ़त 7.2 प्रतिशत रही है. जीडीपी की यह बढ़त आरबीआई के 7 प्रतिशत के अनुमान से भी अधिक है. 

पहले जीडीपी को समझिए

जीडीपी का मतलब हुआ ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद, यह किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू के बराबर होता है. जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन क्षेत्रों की वजह से इसमें तेजी या गिरावट आई है. जीडीपी के आंकड़े अगर कम या सुस्त हैं तो पता चलता है कि देश की इकोनॉमी सुस्त पड़ रही है. इसका अर्थ यह भी होता है कि पिछले साल या तिमाही के मुकाबले हमने पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया, न ही हमारा सेवा क्षेत्र बढ़ा. इससे एक तय अवधि, अमूमन एक साल, में देश के आर्थिक विकास का पता भी चलता है. भारत जैसे विकासशील देश हर साल अधिक जीडीपी विकास दर हासिल करें, यह जरूरी है, क्योंकि हमारी आबादी दुनिया में सबसे अधिक है औऱ इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन बहुत जरूरी है.

हमारे यहां राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय हरेक साल चार बार यानी हरेक तीसरे महीने में जीडीपी का आकलन करता है और सालाना विकास के आंकड़े जारी करता है. कुल चार अहम घटकों या फैक्टर्स के जरिए हम जीडीपी का आकलन करते हैं. इसमें लोगों के कुल खर्च, सरकारी खर्च, निवेश पर किया गया खर्च और सकल निर्यात शामिल होता है. कुल आंकड़े को महंगाई के सापेक्ष जब एजस्ट करते हैं, तो रीयल जीडीपी का आकलन किया जाता है. भारत में जीडीपी का आकलन कृषि, विनिर्माम, विद्युत, गैस, खनन, वानिकी, होटल, कंस्ट्रक्शन, संचार, रीयल इस्टेट, सार्वजनिक सेवाओं जैसे आठ सेक्टर्स के आंकड़ों के आधार पर करते हैं. 

कृषि और सेवाक्षेत्र की बढ़ोतरी से जीडीपी में सुधार

जीडीपी में कृषि सेक्टर का योगदान इस बार बढ़ा है और इस क्षेत्र में तेज बढ़त दर्ज हुई है. पिछली तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 4.7 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गई है. भारत में कृषि क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 20 फीसदी के करीब है और लगभग 40 फीसदी जनसंख्या इससे जुड़ी हुई है. सरकार ने 8 मुख्य क्षेत्रों के विकास का डाटा भी जारी कर दिया है. कोर सेक्टर अप्रैल 2023 में 3.5 फीसदी की दर से बढ़ा है, जो पिछले माह के 3.6 प्रतिशत की तुलना में थोड़ा कम है. आठ कोर सेक्टर्स में कृषि क्षेत्र  5.5 प्रतिशत, माइनिंग सेक्टर 4.3 फीसदी, निर्माण क्षेत्र 10.4 प्रतिशत, बिजली 6.9 फीसदी, तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 4.5 फीसदी और वित्तीय क्षेत्र 7.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. वहीं, व्यापार और होटल 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. लगातर दो तिमाहियों में गिरावट के बाद इस बार तिमाही को जीडीपी विकास दर में वृद्धि हुई है. 

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए सिरे से उछाल के संकेत हैं जबकि बेहतर दक्षता को अपनाने से सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में भी सुधार हुआ है. भारत में घरेलू खपत और निवेश को कृ​षि और उससे संबं​धित गतिवि​धियों की मजबूत संभावनाओं और उपभोक्ता आत्मविश्वास में मजबूती का लाभ मिल रहा है. वहीं वर्ष 2022-23 में रियल जीडीपी (2011-12 की कीमतों पर) 160.06 लाख करोड़ रुपये रही है. सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा है कि 2022-23 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की तुलना में इस बार 7.2 प्रतिशत रही है.

वैसे, जोखिम भी है बना हुआ

जीएसटी संग्रह, बिजली खपत और परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) जैसे संकेतक अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां बने रहने के संकेत दे रहे हैं. हालांकि निर्यात और आयात कम हुआ है. इससे कुछ जोखिम उत्पन्न हुआ है. मानसून और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक जोखिम को छोड़कर देश की आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 फीसदी के अनुमान से ऊपर रह सकती है. फिलहाल, भारत आर्थिक, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के साथ सतत आर्थिक वृद्धि की कहानी पेश करने में सक्षम है. GDP आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से सुखद हैं लेकिन पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है. विनिर्माण क्षेत्र में तेजी स्थिति को और सुखद बना रही है, हालांकि उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर छह महीने के निचले स्तर 3.5 फीसदी रह गई. मुख्य रूप से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली के उत्पादन में कमी से बुनियादी उद्योग की वृद्धि की रफ्तार धीमी हुई है. वहीं कोयला, उर्वरक और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में 7.7 फीसदी रही. 

वैसे, वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा GDP का 6.4 फीसदी रहा, जो लक्ष्य के अनुरूप है. कर और गैर-कर राजस्व संग्रह बेहतर रहने से राजकोषीय घाटा को थामने में मदद मिली. जब पूरी दुनिया मंदी के खतरे से जूझ रही है, तो भारत में जीडीपी की वृद्धि दर दिखाती है कि हम सही राह पर हैं और सही लक्ष्य की ओर जा रहे हैं. 



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