AAP accused BJP of distributing money during Delhi assembly elections know what is the punishment for this
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान हो चुका है. लेकिन दिल्ली चुनाव में अभी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. जहां एक तरफ आप बीजेपी के ऊपर पैसा बांटने का आरोप लगा रही है, वहीं बीजेपी के नेता आप के ऊपर आरोप लगा रहे हैं. सवाल ये है कि चुनाव के समय अगर कोई भी नेता पैसा बांटता है, तो उसको लेकर क्या नियम. आज हम आपको बताएंगे कि पैसा बांटने पर कितने साल की जेल हो सकती है.
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क्या है मामला?
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीते 5 फरवरी को 70 सीटों पर मतदान हुआ है. दिल्ली के जंगपुरा सीट से आप उम्मीदवार मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर पैसे बांटने का आरोप लगाया है. उनका कहना था कि जंगपुरा सीट पर बीजेपी के बूथ के साथ वाली बिल्डिंग में मतदाताओं को पैसे दिए जा रहे हैं. बता दें कि चुनाव से पहले भी आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर पैसा बांटने का आरोप लगाया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पैसा बांटते पकड़े जाने पर क्या सजा मिलती है.
कितनी मिलती है सजा?
बता दें कि चुनाव के समय केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारी एक दम सतर्क रहते हैं. इस दौरान वोटर्स को लुभाने के लिए लोग शराब, पैसा, गिफ्ट्स भी बांटते हैं. अब सवाल ये है कि क्या चुनाव के समय पैसा बांटा जाता सकता है, अगर नहीं. तो इसके लिए कितने सालों की सजा मिल सकती है. जानिए चुनाव आयोग ऐसा करने पर उम्मीदवार के खिलाफ क्या करता है.
क्या कहता है नियम
चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक कोई भी नेता चुनाव के समय पैसा नहीं बांट सकता है. हर कोई नेता पैसा,शराब या अन्य किसी तरह का गिफ्ट चुनाव से पहले बांटते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है. इतना ही नहीं जांच के दौरान सबूत पक्का होने पर उस उम्मीदवार का नामांकन भी कैंसिल कर दिया जाता है. आम आदमी चुनाव आयोग में शिकायत करने के लिए टोल फ्री नंबर 1950 पर शिकायत कर सकते हैं.
वोटर्स को नहीं दे सकते हैं गिफ्ट
चुनाव के समय अगर कोई नेता वोटर्स को लुभाने के लिए गिफ्ट देता है, तो ये भी कानून जुर्म है. चुनाव आयोग के मुताबिक कोई भी उम्मीदवार चुनाव की घोषणा होने और आचार संहिता लगने के बाद अगर गिफ्ट बांटता है, तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है. पैसा और गिफ्ट बांटने पर 6 महीने या उससे अधिक की सजा और जुर्माना दोनों लग सकता है. बता दें कि ऐसी किसी भी सूचना पर पुलिस मामले में एफआईआर दर्ज करती है. जिसके बाद अगर जांच में सबूत पक्के मिलते हैं, तो नामांकन खारिज होने के साथ 1 साल से अधिक की सजा हो सकती है.
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