AAP Hid The Source Of Donations From Abroad ED Source Atishi Said Conspiracy To Defame – AAP ने विदेश से आए चंदे का स्रोत छुपाया- ED सूत्र, आतिशी बोलीं- बदनाम करने की साजिश


फिर से बदनाम करने की साजिश – AAP

आतिशी ने कहा कि इससे साफ़ ज़ाहिर है कि बीजेपी दिल्ली और पंजाब की सभी 20 सीटें हार रही है. ये सब चलने वाला नहीं है. मोदी सरकार से जनता बहुत नाराज़ है. उन्होंने कहा कि ये ED नहीं भाजपा की कार्रवाई है. ये कई साल पुराना मामला है, जिस पर सारे जवाब ED, CBI, MHA और Election Commission को दिये जा चुके हैं. ये फिर से AAP को बदनाम करने की साजिश है. हर चुनाव से पहले भाजपा ये सब करती है. अगले 4 दिनों में कई और ऐसे गलत आरोप लगाए जाएंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई डोनर्स ने AAP को पैसा देने के लिए एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल और ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया. उदाहरण के लिए रिपोर्ट के साथ अटैच दस्तावेजों से पता चलता है कि विदेश में रहने वाले 155 लोगों ने 55 पासपोर्टों का उपयोग करके 404 मौकों पर कुल 1,02,48,189 करोड़ रुपये का दान दिया है. ऐसे कई उदाहरण हैं.

ED ने अगस्त 2022 में गृह मंत्रालय को बताया कि आम आदमी पार्टी को साल 2014 से 2022 के दौरान FCRA, RPA का उल्लंघन करते हुए विदेशों से फंडिंग हुई. पॉलिटिकल पार्टीज फॉरेन फंडिंग नहीं ले सकती है. आम आदमी पार्टी को कनाडा, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, सऊदी अरब, UAE, कुवैत, ओमान और कई दूसरे देशों से फंडिंग मिली है.

पॉलिटिकल पार्टीज के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध है

ED के मुताबिक आम आदमी पार्टी के नेताओं, जिनमें एमएलए दुर्गेश पाठक भी हैं, इन्होंने इस विदेशी फंडिंग को अपने पर्सनल एकाउंट में भी ट्रांसफर किया. विदेशों से फंड भेजने वाले अलग-अलग लोगों ने एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था. फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत पॉलिटिकल पार्टीज के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध है. ये एक अपराध है.

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ED ने अपनी जांच में पाया कि साल 2016 में आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के जरिए इकट्ठा किए और इन पैसों का पर्सनल बेनेफिट के लिए इस्तेमाल किया.

दरअसल इसका पता पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मगलिंग के एक मामले के दौरान हुआ. इस मामले में पाकिस्तान से भारत हेरोइन स्मगल करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसीज काम कर रही थी. इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आप एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था.

ED ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था, तो खैरा और उसके साथियो के यहां से कई संदिग्ध कागज़ात मिले थे. जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी. बरामद कागज़ातों में 4 टाइप लिखे हुए पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें यूएसए के डोनर की पूरी जानकारी थी. इन कागज़ों की जांच के दौरान ED को यूएसए से आम आदमी पार्टी को 1 लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग का पता चला था.

खैरा ने भी अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने यूएसए में फंड रेसिंग कैंपेन चलाकर इकट्ठा किया था.

इस मामले में ED ने आम आदमी पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन किया था, जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है.  जो डेटा पंकज गुप्ता ने ED को उपलब्ध कराया, उसकी पड़ताल से पता चला कि ये फॉरेन डोनेशन FCRA का उल्लंघन था.

उस दौरान ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर का इस्तेमाल कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किये थे. 71 डोनर ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बार में कुल 9990870 रुपये डोनेट किए. 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बार में 19, 92,123 रुपये डोनेट किए. जिससे साफ है कि डोनर की आइडेंटिटी और नेशनलिटी को छुपाया गया जो FCRA, 2010 का उल्लंघन है.

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ED को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था. आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया को वॉलिंटियर्स यूएसए कनाडा ऑस्ट्रेलिया जैसे अलग-अलग देश में चलाते थे, जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करना था.

इस बात का भी खुलासा हुआ कि साल 2016 में इन वालंटियर्स को 50 करोड़ रुपये की डोनेशन इकट्ठी करने का टारगेट दिया गया था. कनाडा नागरिकता के 19 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की फंडिंग प्राप्त की गई.

ED जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडा नेशनल के नाम और उनकी नागरिकता को छुपाने की कोशिश की गई, जिन्हें रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं किया गया, जबकि इस डोनेशन के बदले में अलग-अलग नाम लिख दिए गए और यह सब जानबूझकर फॉरेन नेशनल की नागरिकता को छुपाने के लिए किया गया. जो सीधा-सीधा FCRA 2010 के सेक्शन 3 और आरपीए के सेक्शन 298 का उल्लंघन है.



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