Aastha : धर्मनगरी हरिद्वार में कुंती संग रुके थे पांडव, रेत का शिवलिंग किया था स्थापित, जानिए इसकी मान्यता



3095547 HYP 0 FEATURE20230619 131334 Aastha : धर्मनगरी हरिद्वार में कुंती संग रुके थे पांडव, रेत का शिवलिंग किया था स्थापित, जानिए इसकी मान्यता

ओम प्रयास/हरिद्वार. देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं. जिन्हें देखने के लिए लोग देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों से खींचे चले आते हैं. हरिद्वार में हर की पौड़ी विश्व प्रसिद्ध है. जहां साल भर में मुख्य तीज त्यौहारों पर गंगा स्नान होते हैं और इस दौरान लाखों करोड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ जुट जाती है. वहीं कांवड़ यात्रा के दौरान यहां शिव भक्तों करोड़ों की संख्या में आते हैं. विश्व विख्यात हर की पौड़ी के पास भीमगोड़ा एक ऐसा स्थान है.जिसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में किया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भीमगोड़ा बेहद प्राचीन स्थान है. भीमगोड़ा की कहानी द्वापर युग में हुए महाभारत से जुड़ी हुई बताई जाती है.

भीमगोड़ा में पांडवों का बहुत पुराना मंदिर बना हुआ है. पांडवों का यह मंदिर विल्व पर्वत में एक गुफा में बना हुआ है. भीमगोड़ा का यह स्थान हर की पौड़ी से महज 500 से 600 मीटर की दूरी पर है. यहां पांडवों का प्राचीन मंदिर है,तो वहीं गुप्त गंगा का स्थान भी है. यहां कई हजार साल पुराना रेत का शिवलिंग भी है. कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी. भगवान शंकर की आराधना करने के लिए पांडवों ने यहां रेत का शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की थी. बदलते समय के साथ इस स्थान पर बजरंगबली, लक्ष्मी नारायण जैसे कई मंदिर बन गए हैं. इस स्थान पर देश के अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु घूमने आते हैं.

भीमेश्वर महादेव की स्थापना का रहस्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद पांडवों का राजपाठ हुआ था. राजपाठ करने के बाद पांडव और उनकी माता कुंती शरीर छोड़ने के लिए हिमालय की ओर जा रहे थे. हिमालय जाते समय जब पांडवों को रात हो जाती थी, तो वह सभी वहीं आराम करते थे. जब वे हरिद्वार पहुंचे, तो उन्हें रात हो गई. पांडवों और उनकी माता कुंती हरिद्वार में एक रात रुके थे. कथा के अनुसार, पांडवों की माता कुंती को प्यास लगी लेकिन आसपास पानी ना मिलने पर पांडवों ने रेत का शिवलिंग बना कर महादेव की आराधना की थी. जिसके बाद महादेव ने भीम को जमीन पर अपना घुटना मारने के लिए कहा था. इस स्थान पर स्थापित शिवलिंग का नाम भीमेश्वर महादेव है. कहा जाता है कि भीमेश्वर महादेव के दर्शन करने और सच्चे मन से पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. अलग-अलग राज्यों और विदेशों से लोग हरिद्वार में महाभारत से जुड़े इतिहास भीमगोड़ा को जानने की लालसा लेकर आते हैं.

पांडवों ने किया था रात्रि विश्राम
इस दौरान हमने हरिद्वार में महाभारत से जुड़े इतिहास को जानने के लिए वहां कुछ लोगों से बातचीत की. दिल्ली से अपने परिवार के साथ घूमने आए रुचिका ने बात करते हुए कहा कि यह भीमगोड़ा का स्थान है, जिसका महत्व महाभारत से जुड़ा हुआ है. जब पांचों पांडव और उनकी माता अपना राजपाठ करने के बाद हिमालय जा रहे थे, तो उन्हें चलते-चलते हरिद्वार में रात हो गई थी और उन्होंने यहां रुक कर आराम किया था. इस स्थान पर भीम ने अपना गोड़ा मारकर पानी निकाला था, जिससे सभी की प्यास बुझ गई थी. हरिद्वार में यह स्थान काफी पुराना और प्राचीन है.

अद्भुत और अनोखा है भीमगोड़ा का स्थान
पंजाब से आई संयोगिता बताती हैं कि हरिद्वार का यह स्थान बहुत प्राचीन है, जिसकी शोभा बहुत अच्छी है. इस स्थान को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं. पंजाब से आई निशा बताती हैं कि हरिद्वार हर की पौड़ी के पास भीमगोड़ा का स्थान प्राचीन है. इस स्थान की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है. इस स्थान को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से यहां पर आते हैं और यहां पर पूजा पाठ करते हैं. एक अन्य श्रद्धालु संजीव कुमार बताते हैं कि हर की पौड़ी के पास भीमगोड़ा का स्थान काफी अद्भुत और अनोखा है. इस स्थान पर पांडवों का प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है, जिसे देखने के लिए लोग काफी दूर-दूर से यहां पर आते हैं. कहा जाता है कि गुप्त गंगा में पिंडदान, तर्पण आदि करने का महत्व है. जानकारी के अनुसार, 12 महीने गुप्त गंगा के पानी का स्तर एक समान रहता है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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