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Sadhana Struggle Story: फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसी एक्ट्रेसेस रही हैं जिन्होंने कई सफल फिल्में दीं. लेकिन बाद में कहां गुम हुईं इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सका. उन एक्ट्रेसेस में से एक थीं साधना शिवदासिनी जो ना सिर्फ फिल्मों के लिए जानी जाती थीं बल्कि अपने हेयरस्टाइल और ड्रेसिंग स्टाइल के लिए भी फेमस थीं.

साधना ने अपने दौर में काफी फिल्में कीं, कई सुपरहिट गानों पर परफॉर्म भी किया लेकिन रियल लाइफ में उन्हें काफी दुख मिला. इस साल दिग्गज एक्ट्रेस साधना की 83वां बर्थ एनिवर्सरी मनाई जा रही है, और इस मौके पर हम आपको उनकी लाइफ से जुड़े कुछ अहम किस्से बताएंगे.

एक्ट्रेस साधना का फैमिली बैकग्राउंड

2 सितंबर 1941 को ब्रिटिश इंडिया के कराची (अब पाकिस्तान में) में साधना शिवदासिनी का जन्म एक सिंधी-हिंदू परिवार में हुआ था. इनके पिता शिवराम शिवदासिनी और मां लाली देवी थीं. इनके पिता के बड़े भाई हरी शिवदासिनी थे जिनकी बेटी एक्ट्रस बबीता हैं जो करिश्मा कपूर और करीना कपूर की मां भी हैं.

बंटवारे के बाद इनका पूरा परिवार बॉम्बे (अब मुंबई) आ गया. साधना की स्कूलिंग मुंबई से ही हुई और जय हिंद कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. कॉलेज के समय ही साधना कई प्लेज में हिस्सा लेती थीं और उन्हें एक्टिंग का शौक वहीं से आया.


साधना को कैसे मिली थी पहली फिल्म?

साधना के कॉलेज में एक बार फिल्म इंडस्ट्री से कुछ लोग आए जिन्हें अपनी फिल्म के लिए गानों के बैकग्राउंड में डांस करने वाली लड़कियों की तलाश थी. साधना भी उन लड़कियों में सिलेक्ट हुईं और उन्हें बतौर बैकग्राउंड डांसर पहला मौका फिल्म श्री 420 (1955) में मिला.

इसके बाद एक सिंधी फिल्म निर्माता भारत-पाक बंटवारे पर फिल्म बना रहे थे और उसके लिए साधना को लीड एक्ट्रेस की छोटी बहन का रोल ऑफर किया. बतौर एक्ट्रेस साधना की ये पहली फिल्म अबाना (1958) थी जिसके लिए साधना को सिर्फ 1 रुपये सैलरी के रूप में मिली. इसके बाद साधना की लोकप्रियता बढ़ी और उन्हें बैक टू बैक फिल्में मिलती गईं.

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साधना की फिल्में और हिट गाने

साधना ने अपने करियर में ‘वो कौन थी’, ‘मेरा साया’, ‘एक फूल दो माली’, ‘वक्त’, ‘लव इन शिमला’, ‘आप आए बहार आई’, ‘आरजू’, ‘असली-नकली’, ‘मेरे महबूब’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’, ‘अनीता’, ‘इंतकाम’ जैसी ढेरों फिल्मों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया. इनके फेमस गानों में ‘लग जा गले’, ‘कौन आया’, ‘तू जहां जहां चलेगा’, ‘झुमका गिरा रे’, ‘मेरा मन याद करता है’, ‘ये परदा हटा दो जरा मुखड़ा दिखा दो’ जैसे गानें शामिल हैं.

साधना को बबीता ने क्यों दिया था श्राप?

बबीता ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तब उनकी मुलाकात रणधीर कपूर से हुई. उनमें प्यार हो गया और ये बात राज कपूर तक पहुंची. बबीता बहन की तरह बड़ी एक्ट्रेस बनना चाहती थीं और रणधीर कपूर से शादी भी करना चाहती थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब ये बात राज कपूर को पता चली तो उन्होंने साधना को मिलने बुलाया तो उनसे कहा कि बबीता को दो सपने एक साथ नहीं देखने चाहिए.

अगर बबीता रणधीर कपूर से शादी करती हैं तो फिल्मों से हाथ धोना होगा क्योंकि कपूर खानदान की बहुएं फिल्मों में काम नहीं करती हैं. जब ये बात बबीता को पता चली तो वो साधना से मिलकर गुस्सा करने लगीं. उसी रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि साधना बबीता को अपने बच्चे की तरह मनाने लगीं कि अगर फिल्मों में काम करना है तो रणधीर से शादी का ख्याल छोड़ दें.

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लेकिन बबीता गुस्से में थीं और उन्होंने कह दिया कि बच्चा मानकर ये सब बातें कर रही हैं, कहीं ऐसा ना हो कि एक दिन आप बच्चों के लिए तरसें. हालांकि बबीता ने ये बात गुस्से में कही थी लेकिन साधना के जीवन में कभी उनके खुद के बच्चे नहीं हुए.

कैसे कटे साधना के आखिरी दिन?

साधना जब अपने करियर के पीक पर थीं तब उन्हें थॉयराइड नाम की बीमारी हुई. उन्होंने उसका इलाज अमेरिका में कराया और फिर से करियर पर ध्यान दिया. लेकिन उनके पास काम इतना था कि वो अपनी सेहत का ख्याल नहीं रखती थीं और बाद में इसके कारण उनकी एक आंख छोटी हुई जिससे कम दिखने लगा.

बाद में साधना ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. उनके पति राम कृष्ण नाय्यर का निधन भी हो चुका था. बताया जाता है कि साधना अंतिम दिनों में पाई-पाई की मोहताज हो गई थीं और 25 दिसंबर 2015 को उनका निधन हो गया.

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