After how many years is an aircraft retired Then where does the plane go


बता दें कि विमानों की रिटायरमेंट एज 25 साल होती है. हालांकि बहुत अच्छी मेंटीनेंस पर फ्लाइट को कुछ और साल भी चलाया जा सकता है. लेकिन उसके बाद उसे हटा दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक रिटायर होने के बाद विमानों की आखिरी फ्लाइट स्टोरेज डिपो की ओर होती है. जिसे एयरप्लेन बोनयार्ड या ग्रेवयार्ड भी कहते हैं.

बता दें कि विमानों की रिटायरमेंट एज 25 साल होती है. हालांकि बहुत अच्छी मेंटीनेंस पर फ्लाइट को कुछ और साल भी चलाया जा सकता है. लेकिन उसके बाद उसे हटा दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक रिटायर होने के बाद विमानों की आखिरी फ्लाइट स्टोरेज डिपो की ओर होती है. जिसे एयरप्लेन बोनयार्ड या ग्रेवयार्ड भी कहते हैं.

भारत समेत दुनियाभर में विमानों का स्टोरेज डिपो बना हुआ है. लेकिन अमेरिका में खासतौर पर इस तरह के कई डिपो हैं, जहां एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों रिटायर विमानों को जगह मिलती है. ऐसे स्टोरेज डिपो सबसे ज्यादा अमेरिका के दक्षिणी या पश्चिमी प्रांतों में हैं.

भारत समेत दुनियाभर में विमानों का स्टोरेज डिपो बना हुआ है. लेकिन अमेरिका में खासतौर पर इस तरह के कई डिपो हैं, जहां एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों रिटायर विमानों को जगह मिलती है. ऐसे स्टोरेज डिपो सबसे ज्यादा अमेरिका के दक्षिणी या पश्चिमी प्रांतों में हैं.

जानकारी के मुताबिक इन डिपो में जब विमान पहुंचते हैं, तो सबसे पहले उनकी तेज धुलाई होती है, इस धुलाई में ऐसे रसायन भी मिले होते हैं कि विमान की बॉडी में अगर कहीं कोई साल्ट जैसी चीज आती है, तो खत्म हो जाती है. इसके बाद इसके ईंधन टैंक से पूरी तरह ईंधन निकाल लिया जाता है.

जानकारी के मुताबिक इन डिपो में जब विमान पहुंचते हैं, तो सबसे पहले उनकी तेज धुलाई होती है, इस धुलाई में ऐसे रसायन भी मिले होते हैं कि विमान की बॉडी में अगर कहीं कोई साल्ट जैसी चीज आती है, तो खत्म हो जाती है. इसके बाद इसके ईंधन टैंक से पूरी तरह ईंधन निकाल लिया जाता है.

इसके बाद एक एक पुर्जे, मशीनें और सामान निकालने का काम किया जाता है. विमान में कुल मिलाकर 3.5 लाख कंपोनेंट होते हैं. जिन्हें निकाल दिया जाता है. इन चीजों का इस्तेमाल दूसरे विमानों के पुर्जों के तौर पर होता है. इनकी विमान रिपेयरिंग मार्केट में बहुत डिमांड रहती है.

इसके बाद एक एक पुर्जे, मशीनें और सामान निकालने का काम किया जाता है. विमान में कुल मिलाकर 3.5 लाख कंपोनेंट होते हैं. जिन्हें निकाल दिया जाता है. इन चीजों का इस्तेमाल दूसरे विमानों के पुर्जों के तौर पर होता है. इनकी विमान रिपेयरिंग मार्केट में बहुत डिमांड रहती है.

वहीं विमान खांचा को फिर क्रेन और मशीनों की मदद से इस बॉडी यानी खांचे को डिस्मेंटल करने का काम शुरू होता है. विमान की पूरी बॉडी को क्रश कर दिया जाता है और उन्हें गलाया जाता है. जिससे रिसायकल करके उनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि कई बार विमानों की खाली बॉडी को कुछ लोग खरीद भी लेते हैं.

वहीं विमान खांचा को फिर क्रेन और मशीनों की मदद से इस बॉडी यानी खांचे को डिस्मेंटल करने का काम शुरू होता है. विमान की पूरी बॉडी को क्रश कर दिया जाता है और उन्हें गलाया जाता है. जिससे रिसायकल करके उनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि कई बार विमानों की खाली बॉडी को कुछ लोग खरीद भी लेते हैं.

Published at : 14 Sep 2024 09:00 AM (IST)

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