Agriculture Tips: टमाटर की खेती करते हैं तो इन बातों का रखें खास ध्यान, होगी बढ़िया उपज, फसल को नहीं होगा नुकसान


Bokaro: अक्टूबर के महीने में किसान बड़ी मात्रा में टमाटर ‌कि खेती करते हैं. कई बार पूरी मेहनत के बाद भी वो फल नहीं मिलता जो मिलना चाहिए. इसकी बहुत सी वजहें हो सकती हैं जिनमें से एक है कीट प्रबंधन. अगर फसलों का ध्यान न रखा जाए तो उनमें कीड़ा लग जाता है. इस बारे में बोकारो के कृषि पदाधिकारी मोहम्मद शाहिद ने किसानों का मार्गदर्शन किया है. इन छोटी लेकिन जरूरी बातों का ध्यान रखेंगे तो आपकी फसल में कीड़ा नहीं लगेगा और उत्पादन भी अच्छा होगा.

क्या है एक्सपर्ट की राय
कीट प्रबंधन और टमाटर की खेती को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उन्नत टमाटर की खेती के लिए फसल कि अच्छी तरह देखभाल के अलावा जैविक खाद, प्राकृतिक कीटनाशक का प्रयोग और कीट प्रबंधन करना जरूरी होता है. इस तरह किसान टमाटर का बढ़िया उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले फसल की शुरुआत में खेत की सफाई अच्छी तरह करनी चाहिए. पुराने पौधों के अवशेषों को हटाकर मिट्टी को अच्छी तरह गहरी जुताई करनी चाहिए क्योंकि इससे कीटों के अंडे और लार्वा नष्ट जाते हैं और पौधे का विकास अच्छी तरह होता है.

टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख कीट
कई बार अलग-अलग तरह के कीड़े फसल को गंभीर नुकसान पहुंचा देते हैं. इनमें सबसे अधिक टमाटर फल छेदक जिसे वैज्ञानिक रूप से हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा (Helicoverpa Armigera) के नाम से जाना जाता है, का नाम आता है. यह कीड़ा टमाटर के फलों में छेद करके उन्हें बर्बाद कर देता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. दूसरा कीड़ा है सफेद मक्खी.
यह कीट टमाटर की पत्तियों से रस चूसता है, जिससे पत्तियाँ पीली और कमजोर हो जाती हैं. यह कीट कई वायरस जनित बीमारियों को भी फैलाता है, जो टमाटर की फसल को कमजोर बना देती हैं. लाल मकड़ी भी एक कीट है. इस प्रजाति के कीड़े पत्तियों की सतह पर जाल बुनकर उन्हें पीला और सूखा बना देते हैं. इसकी वजह से पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी उत्पादकता कम हो जाती है.

फसल चक्रीकरण
फसल को कीटों से बचाने के लिए तमाम उपाय किए जा सकते हैं. इनमें से एक है फसल चक्रीकरण. ये एक खास विधि है जिसे अपनाकर किसान भाई कीटों के प्रजनन चक्र को कम कर सकते हैं. इसके लिए टमाटर के साथ ‌किसानों को अलग-अलग सीजन में अलग-अलग फसल उगानी चाहिए क्योंकि एक ही जगह पर टमाटर आलू, बैंगन, मिर्च जैसी फसल लगाने से कीटों का अटैक अधिक होता है.

प्राकृतिक कीट नाशक का उपयोग
नीम का तेल, जैविक साबुन स्प्रे और लहसुन-खट्टी मिर्च के मिश्रण जैसे जैविक कीटनाशकों का उपयोग कीट नियंत्रण के लिए किया जा सकता है. ये न केवल प्रभावी होते हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं. ये आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं.

पौधों की करें नियमित निगरानी
खेतों की नियमित निगरानी से कीटों के शुरुआती चरण में ही पहचान कर उनका प्रबंधन किया जा सकता है. इसके अंतर्गत पौधों की पत्तियों, तनों और फलों की नियमित जांच करने से फसल का नुकसान होने से बचाया जा सकता है. इस तरह कीटों के प्रबंधन के उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं और खुद को आर्थिक नुकसान से भी बचा सकते हैं.

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