AIIA और IIT दिल्ली ने बनाया डिवाइस, योग से करेगा अल्जाइमर-डिमेंशिया का इलाज
अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का इलाज अब एक डिवाइस से हो सकेगा. दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद और आईआईटी दिल्ली ने मिलकर स्पेशल डिवाइस बनाया है. यह डिवाइस योग के साथ मिलकर मतिभ्रम से संबंधित बीमारियों का इलाज करेगा.
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिल्ली ने आईआईटी दिल्ली के सहयोग से तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. दोनों ने मिलकर एक उपकरण विकसित किया है जो मस्तिष्क की न्यूरॉन कोशिकाओं पर योग के एक महत्वपूर्ण घटक यानि कि भ्रामरी प्राणायाम के सकारात्मक प्रभावों डालता है. इस डिवाइस के रिजल्ट्स न केवल बीमारियों में होने वाले लाभों को बताते हैं बल्कि अल्जाइमर, मनोभ्रंश और स्मृति घटने जैसी परेशानियों के इलाज में भी सहायता करने के लिए भ्रामरी प्राणायाम की क्षमता को प्रदशित करते हैं.
इस बारे में एआईआईए की स्वास्थ्यवेत्ता विभाग की प्रोफेसर मेधा कुलकर्णी बताती हैं, ‘एआईआईए के योग विभाग द्वारा आईआईटी दिल्ली की सहायता से तैयार किया गया उपकरण, योग की चिकित्सीय क्षमता की हमारी समझ के लिए एक नया आयाम पेश करता है. भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास के दौरान डिवाइस को नाक में डालने से, यह ध्वनि तरंगों को पकड़ता है और इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) ब्रेन मैपिंग करता है. इस डिवाइस को लगाने के बाद मस्तिष्क के न्यूरॉन कोशिकाओं पर भ्रामरी प्राणायाम के सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं.
बता दें कि सबसे पहले एआईआईए और आईआईटी दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से कई अध्ययनों के बाद डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों में योग के लाभों का पता लगाया गया. उसके बाद मस्तिष्क स्वास्थ्य पर भ्रामरी प्राणायाम के सकारात्मक प्रभाव की पुष्टि करते हुए, पहले अध्ययन में नए विकसित उपकरण का इस्तेमाल किया गया. दूसरा अध्ययन योग और रागी बॉल तकनीक का उपयोग करने वाले एथलीटों पर केंद्रित था. इससे भी बेहतर प्रदर्शन के परिणाम सामने आए. इसके अलावा पुलिसकर्मियों से जुड़े एक तीसरे अध्ययन में योग अभ्यास के माध्यम से तनाव में कमी देखी गई. लिहाजा सभी तीन अध्ययन निर्णायक रूप से दावा करते हैं कि योग में प्रदर्शन के स्तर को ऊपर उठाने की क्षमता है.
इस तरह यह डिवाइस अल्जाइमर, डिमेंशिया और मेमोरी लॉस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए नई आशा प्रदान करता है. योग के समग्र दृष्टिकोण को अपनाने से, एक गैर-आक्रामक समाधान के रूप में इन बीमारियों को रोकने या प्रतिबंधित करने के लिए एक कदम और करीब हो सकते हैं.
इस डिवाइस को लेकर एआईआईए की निदेशक प्रो. डॉ. तनुजा नेसारी कहती हैं कि आयुर्वेद और योग, एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह समग्र कल्याण के सिद्धांतों का प्रतीक हैं. आयुर्वेद के शारीरिक उपचार और योग की साधना को एकीकृत करके, हम स्वास्थ्य लाभ के साथ ही खुशहाली ला सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 22, 2023, 16:34 IST