AIMIM leader asaduddin owaisi controversy Can MPs say anything in Parliament


Asaduddin Owaisi Controversy: भारत में लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद 18वीं लोकसभा का गठन हुआ. जिसके दुसरे दिन हुए एक घटना खासी चर्चाओं में है. दरअसल हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में शपथ ग्रहण करने के बाद जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और फिर जय फिलिस्तीन का नारा लगा दिया. इस बात को लेकर अब खासी सियासत गरमा गई है.

हालांकि सभापति इसे रिकॉर्ड से हटा चुके हैं, लेकिन विपक्षी दल खासकर बीजेपी नेता ओवैसी से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं. वहीं अनुच्छेद 102 (4) का हवाला देते हुए ओवैसी को अयोग्य ठहराने की मांग की जा रही है. इस बीच सवाल ये उठता है कि क्या कोई भी सांसद लोकसभा में कुछ भी बोल सकता है?

संसद में कुछ भी बोल सकते हैं सांसद?

तो बता दें कि संसद में बोले जाने वाले शब्दों को लेकर नियम हैं. ऐसे में हर सांसद को इन नियमों का पालन करना पड़ता है. इसी तरह संसद में कुछ शब्दों पर जैसे बहरी सरकार, जुमला जीवी, उचक्के,खून से खेती, अहंकार,बाल बुद्धि, कांव-कांव करना, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे,  काला दिन,गद्दार, गुल खिलाना, गुंडागर्दी, गुंडों की सरकार, गुलछर्रा,  तड़ीपार, तलवे चाटना,दोहरा चरित्र, दादागिरी, अंट-शंट,चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी,  उचक्के, तानाशाह,  अनपढ़, अनर्गल, अनार्किस्ट, निकम्मा, नौटंकी, ढिंढोरा, पीटना,  चमचागिरी, चमचा, करप्ट, ब्लडी, ड्रामा, हिपोक्रेसी, गिरगिट, घड़ियाली आंसू, खरीद फरोख्त शब्द बोलने पर बैन लगा हुआ है. ऐसे में कोई सांसद इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करता है तो उसपर उचित कार्रवाई की जा सकती है.

ओवैसी की जा सकती है संसद सदस्यता?

हालांकि असदुद्दीन ओवैसी का मामला थोड़ा अलग है, ये पहली बार है जब किसी सांसद ने लोकसभा में किसी दूसरे देश का नारा लगाया हो. ऐसे में संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू का भी बयान आया है. मिंट में छपी रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा है कि हमारी फिलिस्तीन या फिर किसी दूसरे देश से कोई दुश्मनी नहीं है. परेशानी बस इस बात की है कि शपथ के दौरान क्या किसी दूसरे सदस्य को दूसरे देश की बात करनी चाहिए. इसे लेकर क्या नियम हैं ये हम चेक करेंगे.

बता दें संसद के दोनों सदनों में एथिक्स कमेटी है. जो नेताओं के नैतिक आचरण पर नजर रखती है. ये कमेटी यदि सिफारिश करे कि कोई खास सदस्य सदन की गरिमा तोड़ रहा है, या सार्वजनिक जीवन में मर्यादा भंग कर रहा है तो एक्सट्रीम मामलों में सदस्यता जा भी सकती है. महुआ मोइत्रा की सदस्यता भी इसी एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर रद्द की गई थी.

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