Air Force Day this was the first fighter plane of the Indian Air Force know where you can see it now


Air Force Day 2024: आज एयरफोर्स डे है, जिसे हमारे देश में बड़ी ही शान से मनाया जा रहा है. हमारी सेना के बेड़े में फिलहाल एक से बढ़कर एक विमान शामिल हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी सेना के बेड़े में पहली बार कौन सा विमान शामिल हुआ था. दरअसल ये कोई और नहीं बल्कि एचएएल एचएफ-24 मारुत था. ऐसे में चलिए जानते हैं कि अब ये विमान कहां है और उस समय इस विमान की क्षमताएं क्याक्या थीं.

किसने बनाया था भारत का पहले युद्धपोत विमान?

मारुत विमान का विकास भारत सरकार के हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा फ्रांसीसी कंपनी होकर द्वारा डिजाइन किए गए होकर से मिस्टर IV विमान के आधार पर किया गया था. इस विमान का उद्देश्य भारतीय वायुसेना को एक स्वदेशी लड़ाकू विमान प्रदान करना था. मारुत को 1961 में पहली बार उड़ाया गया था और 1967 से 1990 तक भारतीय वायु सेना में सेवा दी.

मारुत की खासियतें

बता दें मारुत एक सुपरसोनिक विमान था, जिसका अर्थ है कि यह ध्वनि की गति से ज्यादा तेजी से उड़ सकता था. इसके अलावा मारुत की अधिकतम गति 1.8 माख थी. मारुत विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस था, जिनमें रॉकेट, बम और मिसाइलें शामिल थीं. इसके अलावा मारुत को उच्च तापमान और कम हवा के दबाव जैसी कठिन परिस्थितियों में उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया था.

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मारुत का देश के लिए क्या है योगदान?

मारुत ने 1971 के भारतपाकिस्तान युद्ध में खास भूमिका निभाई थी. इस विमान ने पाकिस्तानी टैंक और तोपखाने को नष्ट करने में खास योगदान दिया था.

1990 के दशक में मारुत विमान को सेवा से सेवानिवृत्त कर दिया गया था. इसके कई कारण थे, जैसे कि पुराने हो जाना, रखरखाव में कठिनाई और नए उन्नत लड़ाकू विमानों का आगमन.

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कहां देखा जा सकता है मारुत विमान?

आज के समय में मारुत विमानों को विभिन्न संग्रहालयों में रखा गया है. इन्हें आप भारतीय वायुसेना संग्रहालय, पालम में देख सकते हैं. यह संग्रहालय दिल्ली में स्थित है और यहां मारुत विमान को प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा हाल एयरक्राफ्ट फैक्ट्री संग्रहालय बेंगलुरु में भी देखा जा सकता है यह संग्रहालय बेंगलुरु में स्थित है और यहां मारुत विमान के विकास और उत्पादन से संबंधित कई प्रदर्शनी हैं.

क्या है मारुत का महत्व?

मारुत विमान भारत के लिए एक मील का पत्थर था. इसने भारत को स्वदेशी रूप से लड़ाकू विमान विकसित करने की क्षमता प्रदान की. मारुत विमान ने भारतीय वायुसेना को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय रक्षा उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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