Ajab Gajab : यह देखकर आपका विश्वास हिल जाएगा; यह है डायनासोर का 6.5 करोड़ साल पुराना अंडा! जानें क्या है इतिहास…



HYP 4872789 cropped 24122024 130709 untitled design 6 watermar 1 Ajab Gajab : यह देखकर आपका विश्वास हिल जाएगा; यह है डायनासोर का 6.5 करोड़ साल पुराना अंडा! जानें क्या है इतिहास...

भोपाल. पुरातत्व की दृष्टि से मध्य प्रदेश खजाने से भरा रहा है, जहां करोड़ों साल पहले से डायनासोर के जीवाश्म मिले हैं. राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में लगे वन मेला में 6.5 करोड़ साल पुराने डायनासोर के अंडों को ईको टूरिज्म के स्टॉल में रखा गया है. इन अंडों को धार के फॉसिल्ड पार्क से यहां लाया गया है. वन मेला में घूमने के लिए आ रहे लोगों के लिए डायनासोर के अंडे आकर्षक का केन्द्र बने हुए हैं.

ईको टूरिज्म बोर्ड के स्टॉल में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म प्रदर्शित किए हैं, जिनमें डायनासोर के दो अंड़े भी हैं. स्टॉल पर मौजूद धार फॉसिल्ड पार्क के पदाधिकारी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि ये जीवाश्म हैं, जो धार से यहां पर लाए गए हैं. इन्हें प्रदेश के धार जिले में स्थित फॉसिल्स पार्क में इन्हें रखा गया है. वहीं डीएफओ एलपी भारती ने बताया कि यहां डायनासोर के जीवाश्म के अलावा देशी जड़ी बूटियों को रखा गया है. ये ईको टूरिज्म के स्टॉल में हैं.

14 करोड़ वर्ष पूर्व था डायनासोर का अस्तित्व
टायटेनोसोर डायनासोर के एक अंडे का जीवाश्म मेले में प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा दो अंडे भी यहां पर स्थित हैं. जानकारी के मुताबिक, इसके 92 घोंसले थे जिनमें 250 अंडे थे. कहा जाता है कि पृथ्वी पर टायटेनोसोर डायनासोर का अस्तित्व 14.5 करोड़ से लेकर 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व में रहा होगा. इन अंडे के आकार की बात करें तो यह 65 से 180 मिमी और अंडों के छिल्कों की मोटाई 0.8 से 2 मिमी है.

पर्यटन केंद्र के रूप में किया जा रहा विकसित
डायनासोर फॉसिल्स नेशनल पार्क को जल्द ही पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है. इसे लेकर वन विहार नेशनल पार्क भोपाल ने डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करवाने के लिए कंसल्टेंट एजेंसी नियुक्त करने की निविदा जारी कर दी है. साथ ही डायनासोर फॉसिल्स पार्क की 89.4 हेक्टेयर जमीन, जिसे जैव विविधता और जीवाश्मों का खजाना मानी जाती है. इसे संरक्षित और विकसित करने की लंबे समय से योजना बनाई जा रही है.

पर्यटन की दृष्टि से खास
इस पार्क को पर्यटन के लिहाज से और आकर्षक बनाने के लिए मध्यप्रदेश ईको टूरिज्म बोर्ड, वन विभाग और अन्य इकाइयों ने मिलकर प्रारंभिक काम पूरे कर लिए हैं. अब इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विस्तृत योजना बनाई जा रही है.

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