राजनीति में न होते तो सेना में जनरल होते ‘अखिलेश यादव’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यदि राजनीति में न होते तो आज सेना के जनरल होते। अखिलेश यादव को कक्षा तीन से इंटरमीडिएट तक पढ़ाने वाले उनके गुरु अवध किशोर बाजपेई ने यह बात शुक्रवार को कही। उन्होंने अखिलेश यादव के बचपन को लेकर अमर उजाला से यादें साझा कीं। गुरु अवध किशोर ने बताया कि कक्षा छह में अखिलेश का चयन धौलपुर सैनिक स्कूल में हो गया था।
बाद के दिनों में संभवत: मुलायम सिंह के राजनीति में होने के चलते अखिलेश ने भी राजनीति में पदार्पण किया, नहीं तो आज वे भारतीय सेना में जनरल होते। उनका कहना है कि अखिलेश का कद ही उनकी गुरु दक्षिणा है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गुरु अवध किशोर बाजपेई वर्ष 2015 मार्च में शहर के पुरबिया टोला स्थित केके इंटर कॉलेज से अंग्रेजी के प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
शहर के सिविल लाइन क्षेत्र के कचहरी रोड पुरानी दीवानी के निकट रहने वाले अवध किशोर ने बताया कि मुलायम सिंह यादव ने 1981 में अपने लगभग 10 साल के बेटे टीपू (बचपन के अखिलेश यादव) का हाथ उनको थमाकर उनकी पढ़ाई का जिम्मा सौंपा था। अखिलेश को अन्य बच्चों की तरह खेलना खूब पसंद था, लेकिन जो पढ़ाया समझाया जाए उसे कंठस्थ कर लेते थे।
गुरुजी अवध बिहारी व चाचा शिवपाल जाते थे मिलिट्री स्कूल छोड़ने
उन दिनों शहर के सेंट मेरी इंटर कॉलेज में कक्षा तीन में पढ़ रहे अखिलेश यादव को गुरु अवध बिहारी प्रतिदिन दो घंटे पढ़ाते थे। दो साल में यह उनके सानिध्य में पढ़ाई का ही नतीजा था कि अखिलेश यादव को वर्ष 1983 में राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल में कक्षा छह में एडमिशन मिल गया।
इसके बाद टीपू को वहां से लाने और छोड़ने गुरुजी अवध बिहारी व चाचा शिवपाल सिंह यादव जाते थे। जब मुलायम सिंह इटावा में नहीं होते थे तब स्कूल से अभिभावकों के नाम आने वाले पत्रों में से कुछ का जवाब स्वयं गुरुजी ही लिखकर भेजते थे। मिलिट्री स्कूल में प्रवेश के बाद जब भी सर्दी या गर्मी की छुट्टी में अखिलेश आते तो उनका कोर्स कराने का जिम्मा भी अवध किशोर बाजपेई ही उठाते थे।
कान ऐंठने से पहले मुस्कुरा देते थे अखिलेश यादव
अवध किशोर बाजपेई ने बताया कि पढ़ाई के दौरान कभी कान ऐंठने के लिए हाथ बढ़ाओ तो अखिलेश मुस्कुरा देते थे। उनका कहना है कि आज भी अखिलेश मुस्कुरा कर दिल जीत लेते हैं और मुस्कुराते हुए ही किसी भी कठिन दौर या बाधा से बाहर आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि अखिलेश में आत्मविश्वास की कभी कमी नहीं रही, न बचपन में और न अब।
मिलिट्री स्कूल में एडमिशन के दिन थी गुरुजी की वरीक्षा
अखिलेश यादव के गुरुजी अवध किशोर बाजपेई अपनी वरीक्षा वाले दिन ही अखिलेश को धौलपुर स्थित मिलिट्री स्कूल छोड़ने गए थे। धौलपुर स्थित मिलिट्री स्कूल में छोड़कर जब वे लौटे तब जाकर उनकी शादी की वरीक्षा कार्यक्रम संपन्न हुआ था। शिक्षक दिवस पर अवध किशोर बाजपेई का कहना है कि अखिलेश यादव के साथ मेरा आशीर्वाद सदैव है।