Amit Shah Replied To Jairam Ramesh On Sengol Dispute Why Does Congress Hate Indian Traditions And Culture Parliament Building Inauguration
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Sengol Dispute: नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर पिछले कई दिनों से बवाल जारी है, तमाम विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से इसका उद्घाटन कराने की मांग रखी है और बायकॉट का ऐलान कर दिया है. इस विवाद के बीच अब एक और विवाद शुरू हो गया है. इस बार नए संसद भवन में रखे जाने वाले सेंगोल यानी राजदंड को लेकर बहस शुरू हो गई है. गृहमंत्री अमित शाह ने देश को बताया था कि आजादी के प्रतीक के तौर पर 1947 में जवाहरलाल नेहरू को सौंपे गए सेंगोल को नई संसद में रखा जाएगा. इसे लेकर खूब प्रचार भी किया गया, लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सेंगोल को लेकर सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा कि सेंगोल को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है. अब जयराम रमेश को खुद अमित शाह ने ट्वीट कर जवाब दिया है.
इतिहास को झूठा बता रही कांग्रेस- शाह
गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से जवाब में दो ट्वीट किए गए हैं. जिनमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस इतिहास को झुठला रही है. अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा, “अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. एक पवित्र शैव मठ, थिरुवदुथुराई अधीनम ने खुद भारत की आजादी के वक्त सेंगोल के महत्व के बारे में बताया था. कांग्रेस अधीनम के इतिहास को झूठा बता रही है! कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करने की जरूरत है.”
अमित शाह ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, “कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ ने पंडित नेहरू को एक पवित्र सेंगोल दिया था, लेकिन इसे ‘चलने की छड़ी’ समझकर एक संग्रहालय में भेज दिया गया था.”
Now, Congress has heaped another shameful insult. The Thiruvaduthurai Adheenam, a holy Saivite Mutt, itself spoke about the importance of the Sengol at the time of India’s freedom. Congress is calling the Adheenam’s history as BOGUS! Congress needs to reflect on their behaviour.
— Amit Shah (@AmitShah) May 26, 2023
जयराम रमेश ने क्या किया था दावा?
नई संसद में लगने जा रहे राजदंड सेंगोल को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि इस बात का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं है कि इसे सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सौंपा गया था. उन्होंने कहा, “माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू से जुड़ा कोई ऐसा दस्तावेज नहीं जो प्रमाणित करे कि यह राजदंड अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल हुआ था, इससे जुड़े सभी दावे फर्जी हैं और कुछ लोगों की दिमागी उपज हैं.”
जयराम रमेश ने कहा कि पीएम और उनकी वाहवाही करने वाले इस राजदंड का इस्तेमाल तमिलनाडु में राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं. जयराम रमेश ने कहा कि ये सब वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से मिला हुआ ज्ञान है, जिसे बीजेपी फैला रही है.
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