Another Insurgent Group Signs For Peace Process In Manipur: Centre – मणिपुर में शांति प्रकिया के लिए एक और विद्रोही समूह ने किए हस्ताक्षर: केंद्र 



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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘इसके साथ ही संगठन के अधिकांश सदस्यों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने की दिशा में एक कदम उठाया है. इस घटनाक्रम से मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के भारत सरकार के प्रयासों को गति मिलने की संभावना है.‘ 

मंत्रालय के अनुसार, NRFM (जिसे पहले यूनाइटेड रिवोल्यूशनरी फ्रंट कहा जाता था) का गठन 11 सितंबर, 2011 को मैतेई यूजी संगठन कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी के तीन गुटों के कैडरों द्वारा किया गया था.

मंत्रालय के बयान के मुताबिक, ‘इसके वरिष्ठ नेता पड़ोसी देश के ठिकानों से संचालित होते थे और मणिपुर घाटी के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और जबरन वसूली में शामिल थे. इससे अन्य मैतेई यूजी संगठनों को शांति प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के अलावा मोदी सरकार के ‘उग्रवाद मुक्त और समृद्ध पूर्वाेत्तर‘ के दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलने की संभावना है.‘

क्षेत्र के सबसे पुराने विद्रोही समूह UNLF के साथ शांति समझौते पर पिछले बुधवार को हस्ताक्षर किए गए, जिससे छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन का अंत हो गया.  UNLF के पामबेई गुट के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और गृह मंत्री अमित शाह ने इसे ऐतिहासिक बताया, जिसमें कहा गया कि मणिपुर के सबसे पुराने विद्रोही समूह ने हिंसा त्यागने और मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है. 

शाह ने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें कैडर अपने हथियार आत्मसमर्पण करते हुए देखे जा सकते हैं. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘राज्य में मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले केएच पामबेई समूह के पास केवल 65 कैडर हैं, जबकि कोइरेंग के नाम से मशहूर केएच अचौ सिंह के नेतृत्व वाले गुट का 300 कैडर पर नियंत्रण है.‘ उनके मुताबिक, छोटे गुट ने समझौते पर हस्ताक्षर किए, जबकि बड़े गुट ने इससे दूर रहने का फैसला किया.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘कोइरेंग गुट के अधिकांश कैडर वर्तमान में म्यांमार में अंतरराष्ट्रीय सीमा से परे स्थित हैं. कहा जाता है कि मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हालिया जातीय संघर्ष के दौरान पामबेई के लोग मणिपुर में घुस गए हैं.’ 

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