Anti Ragging Law In India Could Land You Up In Jail Plus Fine Say No To Ragging
Anti Ragging Laws In India: नया सेशन शुरू हो गया है और इसी के साथ कॉलेजों में रैगिंग का दौर भी शुरू हो जाता है. इस पर लाख पाबंदियां लगें और नियम बनें लेकिन किसी न किसी फॉर्म में रैगिंग चलती रहती है. इसे पूरी तरह बंद करना या छात्रो पर नजर रखना मुमकिन नहीं होता. अगर आपको भी लगता है कि रैगिंग मस्ती-मजाक की चीज है इसे क्या सीरीयसली लेना तो संभल जाएं. इंडिया में रैगिंग को लेकर कानून सख्त है. पकड़े जाने पर जेल भी जाना पड़ सकता है और फाइन भी भरना पड़ सकता है. जानते हैं क्या कहता है इंडिया का एंटी रैगिंग कानून.
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इस साल आया था कानून
भारत में रैगिंग लॉ प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट 1997 और इसके अमेंडमेंट्स के अंतर्गत आता है. इसे 9 अप्रैल को राज्यपाल की सहमति मिली और 13 अप्रैल को ये राजपत्र यानी गवर्नमेंट गैजेट में प्रकाशित हुआ. शैक्षिक संस्थानों में रैगिंग पर रोक लगाने के लिए एक अधिनियम बनाया गया. इसके पहले और बाद में इसमें कई अमेंडमेंट हुए. साल 1999 में विश्व जागृति मिशन के तहत सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को डिफाइन किया.
क्या है हिस्ट्री
अगर इसके इतिहास पर नजर डालें तो भारत में रैगिंग आजादी के पहले से हो रही है. पहले ये इंग्लिश और आर्मी स्कूलों में मजाक के तौर पर ली जाती थी लेकिन इसमें किसी प्रकारी की हिंसा शामिल नहीं थी.
इंडिया में रैगिंग के भयानक केस सालों से सामने आ रहे थे लेकिन साल 2009 में अमन काचरू जोकि धर्मशाला में एक मेडिकल स्टूडेंट था उसकी मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया. 2001 से रैगिंग बैन थी लेकिन स्टूडेंट इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे.
क्या आता है रैगिंग के दायरे में
- किसी भी स्टूडेंट को कॉलेज के अंदर या बाहर किसी भी तरह से परेशान करना, उसे ताने मारना, उसकी इंसल्ट करना या उसे साइकोलॉजिकली परेशान करना, इसके अंतर्गत आता है.
- अपने शब्दों से, कुछ लिखकर, पढ़कर या अनैतिक काम करके जूनियर को परेशान करना रैगिंग में आता है.
- ऐसा कोई काम जिससे जूनियर को शर्म महसूस हो या जिससे उससे मानसिक रूप से दबाव महसूस करना पड़े, रैगिंग की श्रेणी में आता है.
- जूनियर से अपने पर्सनल काम करवाना या किसी भी रूप में उसका शोषण करना, मेंटली या फिजिकली एब्यूज करना, उसकी मर्जी के खिलाफ उससे काम करवाना, ये सब रैगिंग में आता है.
क्या है सजा का प्रावधान
शैक्षिक संस्थानों को इस बात का ध्यान रखना होता है कि उनके कैंपस या बाहर कहीं भी छात्र रैगिंग में शामिल न हों. अगर कोई स्टूडेंट इसकी शिकायत करे तो सात दिन के अंदर उस पर एक्शन लिया जाना चाहिए. रैगिंग में डायरेक्टली या इनडायरेक्टली शामिल स्टूडेंट को दोषी माना जाएगा.
पकड़े जाने पर दो साल की सजा और दस हजार रुपये तक का जुर्मान देना पड़ सकता है. अगर कोई एक या छोटा समूह पकड़ में नहीं आते हैं तो घटनास्थल पर मौजूद हर व्यक्ति को रैगिंग में शामिल माना जाएगा. अगर कॉलेज केस को टालता है तो उस पर भी एक्शन लिया जाएगा.
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