AQI in delhi what role does stubble burning play in the pollution of Delhi NCR facts


दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है. यहां की हवा में घुला हुआ प्रदूषण कितना गंभीर है ये आप इसी से समझ सकते हैं कि आप यहां स्मोकिंग न करते हुए भी कई सिगरेट जितना प्रदूषण सांस के जरिये अपने अंदर ले रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर की हवा में घुले प्रदूषण का एक प्रमुख कारण पंजाब-हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाना भी है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण स्तर को बढ़ाने में पराली का कितना रोल है.

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पराली जलाने से क्या होता है?

पराली जलाने से हवा में कई तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड छोड़े जाते हैं. ये पदार्थ सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, और कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा, पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और जलवायु परिवर्तन में भी योगदान होता है.

दिल्लीएनसीआर के बढ़ते प्रदूषण स्तर में पराली का कितना रोल?

दिल्लीएनसीआर के पास होने के चलते हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली का सीधा प्रभाव वायु प्रदूषण पर पड़ता है. सर्दियों के मौसम में जब हवा की गति कम होती है, तब पराली से निकलने वाला धुआं दिल्लीएनसीआर के आसमान को ढक लेता है, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. यह प्रदूषण सांस लेने की समस्याओं, अस्थमा, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है. ऐसे में दिल्लीएनसीआर की हवा में जहर घोलने में पराली का योगदान तो होता है लेकिन दिल्लीएनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए पूरी तरह पराली जलाना जिम्मेदार नहीं है.

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दिल्लीएनसीआर में क्यों बढ़ता जा रहा प्रदूषण?

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दिल्ली की प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह उसकी ज्योग्राफिकल लोकेशन है. जो यहां के प्रदूषण की वजह बनती है. इसके साथ ही इस मौसम में बदलाव के साथ ही एटमॉस्फेरिक बाउंड्री की हाइट भी कम हो जाती है. एरिया कम होने की वजह से भी प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है. दिल्ली का अपना प्रदूषण भी इसकी वजह है. इस शहर में लाखों गाड़ियां चलती है, फैक्ट्रियों के साथ ही निर्माण कार्य भी बड़े पैमाने पर होते हैं, वहीं पराली इसमें जुड़ जाती है.           

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