AR Rahman Divorce cases rise in India age group and biggest reasons rural and urban Divorce rate | कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं तलाक के मामले, किस उम्र के लोग ज्यादा और क्या हैं कारण
Divorce Cases In India: दुनियाभर में मशहूर सिंगर और म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान के तलाक की खबरों ने सभी को हैरान कर दिया. करीब 30 साल बाद एआर रहमान और उनकी पत्नी सायरा बानो ने अपने रिश्ते को तोड़ने का फैसला किया, जिसने उनके तमाम फैंस को तगड़ा झटका दिया और कई लोग तो इस पर यकीन भी नहीं कर पाए. हालांकि एआर रहमान अकेले नहीं हैं, जिन्होंने ऐसा किया है. इससे पहले भी आमिर खान, कमल हसन और कबीर खान जैसी कई बड़ी हस्तियों ने शादी के कई साल बाद तलाक का ऐलान किया, जिसे ग्रे डिवोर्स भी कहा जाता है. आज हम आपको भारत में तलाक के बढ़ते ग्राफ और इसके कारणों के बारे में बताएंगे. साथ ही आपको ये भी जानकारी देंगे कि किस उम्र के लोग ज्यादा तलाक ले रहे हैं.
कितने बढ़ गए तलाक के मामले?
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि भारत में पिछले कुछ सालों में तलाक के मामलों में कितना इजाफा हो गया है. नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के मुताबिक पिछले पांच सालों में तलाक के मामलों में 35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो काफी हैरान करने वाला आंकड़ा है. इसके अलावा यूनाइटेड नेशंस की तरफ से जारी रिपोर्ट के आंकड़े भी डराने वाले हैं. इसके मुताबिक भारत में तलाक के मामले पिछले कुछ सालों में लगभग दोगुने हो चुके हैं. साल 2005 में जहां ये दर 0.6 प्रतिशत थी, वो 2019 में बढ़कर 1.1 प्रतिशत तक पहुंच गई.
शादी के कई साल बाद तलाक क्यों?
यूएन की इस रिपोर्ट में तलाक की वजहों का भी जिक्र किया गया था. जिसमें बताया गया कि दुनियाभर के देशों और भारत में तलाक की सबसे बड़ी वजह घरेलू हिंसा और धोखा देना है. इसके अलावा जो लोग 50 साल की उम्र में तलाक ले रहे हैं वो एक दूसरे से मुक्ति पाने और अनसुलझे मुद्दों की वजह से ऐसा करते हैं. साथ ही शादी के बाद कई सालों तक अपमान सहना भी इसका एक कारण हो सकता है. ऐसे तमाम मामलों में इमोशनल सपोर्ट की भारी कमी देखी गई है.
महिलाओं को एक उम्र के बाद बाकी लड़कियों या महिलाओं को देखकर ऐसा लगने लगता है कि उन्होंने ज्यादा कष्ट सहा और अकेले घर के काम के साथ बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी भी संभाली. इस दौरान उनके पार्टनर की हिस्सेदारी काफी कम थी, साथ ही उनके इस काम को कभी भी सराहा नहीं गया. यही वजह है कि ज्यादातर ऐसे मामलों में महिलाओं की तरफ से ही आखिर में तलाक की पहल की जाती है.
तलाक के ये हैं सबसे बड़े कारण
- घरेलू हिंसा और धोखा देना
- रिटायरमेंट के बाद जिंदगी के मायने बदल जाना
- एंप्टी नेस्ट सिंड्रोम
- नए सिरे से शुरुआत करने की इच्छा
- कई सालों के अपमान का बदला
- कभी इज्जत नहीं मिलना
- इमोशनल और फिजिकल सपोर्ट की कमी
- प्यार का दूसरा मौका
शादी के तुरंत बाद तलाक क्यों नहीं?
अब सवाल है कि 50 या फिर 40 साल की उम्र के बाद ही महिलाएं तलाक को लेकर क्यों फैसला ले रही हैं. इसका जवाब है उनके बच्चे… यानी शादी के तुरंत बाद जब बच्चे पैदा हो जाते हैं तो उन्हें लेकर महिलाओं की चिंता बढ़ जाती है, वो अपनी सारी तकलीफें भूलकर उसे पालने में व्यस्त हो जाती हैं. ये उन महिलाओं के साथ था, जिनकी शादी आज से करीब 20-25 साल पहले हुई थी. यानी मानसिक तौर पर तलाक काफी पहले ही हो चुका होता है, लेकिन फैसला कई साल बाद लिया जाता है.
हालांकि आज महिलाएं तलाक को लेकर हिचकिचाती नहीं हैं और जैसे ही उन्हें लगता है कि रिश्ते में ज्यादा कुछ नहीं बचा है तो वो फैसला ले लेती हैं. पहले जहां वित्तीय सुरक्षा और बच्चों को पालने की चिंता महिलाओं को होती थीं, वहीं अब वो खुद इसके लिए सक्षम हैं. ऐसे में फैसला लेने से पहले उन्हें ज्यादा नहीं सोचना पड़ता है. यही वजह है कि पुरुषों की तुलना में तलाक की अर्जी लगाने में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है.
किस उम्र में सबसे ज्यादा तलाक?
साल 2021 से 2022 के बीच हुई एक स्टडी में बताया गया कि 25 से 34 साल की उम्र वाले लोगों ने सबसे ज्यादा तलाक लिए. इसके बाद 18 से 24 साल के लोगों ने तलाक के लिए सबसे ज्यादा अर्जी डाली, वहीं इसके बाद 35 से 44 और फिर 45 से 54 साल की उम्र वाले लोग हैं. लिस्ट में 55 से लेकर 64 साल और इससे ज्यादा की उम्र के लोग भी शामिल थे.
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किस राज्य में सबसे ज्यादा तलाक?
अब उन राज्यों की बात करते हैं, जहां तलाक के मामले सबसे ज्यादा आते हैं. इनमें सबसे ऊपर महाराष्ट्र शामिल है. यहां करीब 18.7 प्रतिशत तलाक के मामले आते हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां 11.7 प्रतिशत का डिवोर्स रेट है. उत्तर प्रदेश 8.8 प्रतिशत के रेट से तीसरे नंबर पर है वहीं पश्चिम बंगाल (8.2%) चौथे नंबर पर है और दिल्ली (7.7%) का पांचवां स्थान है. इस लिस्ट में आगे तमिलनाडु (7.%) , तेलंगाना (6.7%) और केरल (6.3%) जैसे राज्य भी शामिल हैं.
ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ रहा ट्रेंड
कुछ दशक पहले ये माना जाता था कि डिवोर्स या फिर तलाक का ट्रेंड सिर्फ शहरों तक सीमित है, या फिर ये शहर में रहने वाले लोगों की बाते हैं. लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में भी ये ट्रेंड लगातार बढ़ता नजर आ रहा है. हालांकि ये शहरों के मुकाबले काफी कम है, लेकिन पिछले कुछ सालों में ग्राफ तेजी से बढ़ा है. एक सर्वे के मुताबिक शहरों में 2017-18 के दौरान पुरुषों का डिवोर्स रेट 0.3 प्रतिशत था, वो 2023-24 में बढ़कर 0.5 प्रतिशत हो गया. वहीं महिलाओं में ये 0.6 से 0.7 प्रतिशत तक बढ़ा है.
ग्रामीण इलाकों में 2017-18 से लेकर 23-24 तक पुरुषों में डिवोर्स रेट 0.3 प्रतिशत ही रहा, लेकिन महिलाओं में 0.3 से बढ़कर 0.4 हो गया. यानी भले ही शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में डिवोर्स रेट कम हो, लेकिन यहां भी तलाक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
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