AstraZeneca Amid Vaccine Side Effects Concerns Says Our Sympathies Are With Those – हमारी सहानुभूति उन लोगों के साथ… : कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स की चिंताओं के बीच एस्ट्राजेनेका
नई दिल्ली:
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने उनकी कोरोना वैक्सीन (AstraZeneca Corona Vaccine) से खतरनाक साइड इफेक्ट्स की बात को स्वीकार किया है. फार्मा कंपनी ने माना है कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन कई दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होना का भी कारण हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने मरीजों की सेफ्टी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर से दोहराई. बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से जो वैक्सीन बनाई थी, वह एस्ट्राजेनेका का ही फॉर्मूला है.
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यह पहली बार नहीं है जब एस्ट्राजेनेका ने अपने कोरोना वैक्सीन से जुड़े दुष्प्रभावों को स्वीकार किया है. ब्रिटेन की एक अदालत में फार्मा कंपनी के खिलाफ 100 मिलियन पाउंड के क्लास एक्शन मुकदमे से जुड़े मामले में कंपनी ने यह स्वीकार किया कि वैक्सीन दुर्लभ मामलों में वास्तव में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की वजह बन सकती है.
एस्ट्राजेनेका ने जताई सहानभूति
एस्ट्राजेनेका ने एक बयान जारी कर कहा, “हमारी सहानुभूति उन लोगों के साथ है, जिन्होंने अपनों को खोया है या स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी दी है. मरीज की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. टीके समेत सभी दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए रेगुलेटर अथॉरिटीज के पास स्पष्ट और कड़े स्टैंडर्ड हैं.”
दुनिया भर में रेगुलेटर एजेंसियां लगातार यह कहती रही हैं कि टीकाकरण के फायदे अत्यंत दुर्लभ दुष्प्रभावों से पैदा होने वाले जोखिमों से कहीं ज्यादा हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने टीके को “18 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए सुरक्षित और प्रभावी” बताया है, जिसके प्रभाव की वजह से कानूनी कार्रवाई “बहुत दुर्लभ” हो गई है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने कैसे बनाई कोविशील्ड वैक्सीन?
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने mRNA तकनीक के बजाय वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का उपयोग करके कोविशील्ड COVID-19 वैक्सीन विकसित की है. यह वैक्सीन मानव कोशिकाओं में COVID-19 स्पाइक प्रोटीन को ले जाने के लिए एक संशोधित चिंपैंजी एडेनोवायरस, ChAdOx1 का उपयोग करता है. हालांकि यह ठंडा वायरस प्रभावी रूप से रिसीपिएंट को संक्रमित नहीं कर सकता, यह समान वायरस से बचाव के लिए इम्यून सिस्टम को प्रभावी ढंग से “सिखाता” है.
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