Baby Ariha Case 59 MPs Of 19 Political Parties Writes A Letter To Germany Ambassador Return Girl To India


MPs Letter To Germany Ambassador: भारत की बच्ची अरिहा शाह को वापस देश में लाने के लिए 19 अलग-अलग राजनीतिक दलों के 59 सांसदों ने जर्मनी के राजदूत को एक चिट्ठी लिखी है. इन सांसदों में बीजेपी, कांग्रेस, वामपंथी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी राज्यसभा सांसद भी शामिल हैं. अरिहा शाह पिछले 20 महीनों से भी ज्यादा समय से बर्लिन के फोस्टर केयर में रह रही है.

राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों ने राजदूत फिलिप एकरमैन को लिखे पत्र में कहा है कि अपने देश, संस्कृति और पर्यावरण से जुड़ी अरिहा को भारत लाना जरूरी है. सांसदों ने तर्क देते हुए कहा कि किसी भी तरह की देरी से बच्ची को अपूर्णनीय क्षति होगी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शुक्रवार (02 जून) को सरकार ने भी जर्मनी से आधिकारिक तौर पर अरिहा को भारत वापस लाने के लिए कहा है.

वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अरिहा शाह मामले में जर्मन यूथ एजेंसी की कार्रवाई का बचाव करने वाली रिपोर्ट्स गलत हैं और इस मुद्दे को उलझाने का प्रयास करती हैं. एजेंसी ने अनरेस्पोंसिव बिहेव किया जिस वजह से अरिहा के माता-पिता को मीडिया का सहारा लेना पड़ा. किसी भी समय पर एजेंसी ने बच्चे की देखभाल करने के इच्छुक किसी भी भारतीय पालक परिवार के बारे में जानकारी साझा नहीं की. इसके अलावा, मुख्य मुद्दा यह है कि एक भारतीय बच्चे को भारत लौटने की अनुमति नहीं दी जा रही है. 

इन सांसदों ने चिट्ठी पर किए सिग्नेचर

चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी और शशि थरूर, बीजेपी से हेमा मालिनी और मेनका गांधी, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी की महुआ मोइत्रा, समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव, आरजेडी से मनोज झा, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, सीपीएम से इलामन करीम और जॉन ब्रिटास, अकाली दल से हरसिमरत कौर, बीएसपी से कुंवर दानिश अली, शिवसेना (यूबीटी) से प्रियंका चतुर्वेदी, सीपीआई से बिनॉय विश्वम और नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारुक अब्दुल्ला शामिल रहे.

क्या कहा सांसदों ने?

सांसदों ने इस चिट्ठी में लिखा है, “हम भारत की संसद के दोनों सदनों के सदस्य 19 राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखते हैं. आपको ये पत्र लिख रहे हैं, जिसमें भारती की दो साल बच्ची अरिहा शाह के भारत भेजने का तत्काल अनुरोध है. ये बच्ची भारत की नागरिक है, उसके माता-पिता धरा और भावेश शाह हैं. ये परिवार बर्लिन में रहता था क्योंकि बच्ची के पिता वहां की एक कंपनी काम करते थे. परिवार को अब तक भारत आ जाना चाहिए था लेकिन दुखद घटना की वजह से वो नहीं आ पाए.”

सांसदों ने आगे कहा, “हम आपकी किसी भी एजेंसी पर आरोप नहीं लगा रहे और मानते हैं कि जो कुछ भी किया गया होगा वो बच्ची के हित में सोचकर किया गया होगा. हम आपके देश में कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करते हैं लेकिन ये देखते हुए कि इस परिवार के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला लंबित नहीं है, बच्ची को वापस घर भेजने का समय आ गया है.”

सांसदों ने बताया कि फरवरी 2022 में माता-पिता के खिलाफ बिना किसी आरोप के पुलिस मामले को बंद कर दिया गया था. इसके बाद भी बच्ची को वापस नहीं किया गया और जर्मन चाइल्ड सर्विसेज ने जर्मनी की अदालतों में बच्ची सी स्थाई हिरासत के लिए दवाब डाला.

पत्र में उन्होंने कहा, “एक और पहलू है. हमारे अपने सांस्कृतिक मानदंड हैं. बच्ची एक जैन परिवार से संबंधित है जो सख्त शाकाहारी हैं. बच्चे को एक विदेशी संस्कृति में ढाला जा है, उसे मांसाहारी भोजन खिलाया जा रहा है. यहां भारत में होने के नाते, आप बेहतर ढंग से समझ सकते हैं कि यह हमारे लिए कितना अस्वीकार्य है.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, अरिहा के माता-पिता एक गुजराती दंपति हैं. ये लोग साल 2018 में जर्मनी चले गए थे और पिछले 21 महीनों से अपनी बच्ची की कस्टडी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. बच्ची को आकस्मिक चोट लगने के बाद जर्मनी के अधिकारियों ने अपनी कस्टडी में ले लिया था और वो 23 सितंबर 2021 से फोस्टर केयर में ही है. उस समय अरिहा सिर्फ 7 महीने की थी. जर्मनी के अधिकारियों का आरोप था कि अहिरा के माता-पिता धरा और भावेश शाह ने उसे प्रताड़ित किया है.

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