Bageshwar Uttarayani Mela: जब अखाड़े में उतरी लड़कियां, बागेश्वर मेले में हुआ ‘दंगल’


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Bageshwar Mela: युवाओं को नशे से दूर रहने का संदेश देने के लिए उत्तरायणी मेले में दंगल कराया गया. दंगल में कई राज्यों और नेपाल के पहलवानों ने प्रतिभाग किया.

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कुश्ती

कुश्ती दंगल दिखाती महिलाएं 

बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर में इन दिनों उत्तरायणी मेले (Uttarayani Mela Bageshwar) की धूम है. मेले में अलग-अलग कार्यक्रम कराए जा रहे हैं. इन्हीं कार्यक्रमों में से एक दंगल भी है. बागेश्वर में पहली बार महिला पहलवानों का दंगल कराया गया. महिला पहलवानों की कुश्ती देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग बागेश्वर पहुंचे. सरयू बगड़ में कुश्ती देखने के शौकीन लोगों ने दंगल का भरपूर लुत्फ उठाया. हरियाणा और गाजियाबाद से बागेश्वर पहुंची महिला पहलवानों ने दंगल में जान डाल दी. जिले में महिला पहलवानों का दंगल कौतूहल का विषय बना. बागेश्वर पहुंची महिला पहलवानों को भी बागेश्वर खूब पसंद आया. चार महिला पहलवानों ने दर्शकों को दंगल खेल दिखाया.

बागेश्वर में दंगल के आयोजक वरिष्ठ नागरिक दलीप खेतवाल ने लोकल 18 को बताया कि उत्तरायणी मेले में दो दिवसीय राज्य स्तरीय दंगल प्रतियोगिता आयोजित कराई गई. युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए दंगल कराया गया. दंगल में कई राज्यों और नेपाल के पहलवानों ने प्रतिभाग किया. इस बार मेले में महिला पहलवानों का भी दंगल कराया गया. उत्तराखंड के अलावा राजस्थान, गाजियाबाद, नेपाल, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के पहलवानों ने कुश्ती की. अपने दांवपेंच से प्रतिद्वंदी को मात देते पहलवानों के करतब देख जनता रोमांच से भर उठी. उन्होंने कहा कि कुल 15 दंगल हुए, जिसमें 20 पुरुष और चार महिला पहलवानों ने प्रतिभाग किया. सरयू बगड़ में आयोजित दंगल में महिलाओं की पहली कुश्ती सोनू पहलवान और अंशु पहलवान के बीच हुई, जिसमें अंशु ने जीत हासिल की. इस दौरान सरयू बगड़ में दंगल देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे. लोगों ने जमकर कुश्ती का आनंद लिया.

बागेश्वर की लड़कियां भी दंगल खेलने जाएं
महिला पहलवान सोनू और अंशु ने लोकल 18 से कहा कि बागेश्वर जिले में दंगल खेलकर उन्हें काफी अच्छा लगा. यहां का वातावरण काफी साथ-सुथरा है. लोग भी बहुत अच्छे है. खेल के दौरान यहां के लोगों का उन्हें बहुत प्यार और सहयोग मिला. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जिस तरह हम बागेश्वर में खेलने आए हैं, ठीक ऐसे ही बागेश्वर की लड़कियां भी अन्य राज्यों में खेलने जाएं, जिससे जिले और राज्य का नाम रोशन हो. महिलाएं कुश्ती से स्वयं को आत्मनिर्भर बना सकती हैं. वहीं बागेश्वर के जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने लोकल 18 से कहा कि उत्तरायणी मेले में दंगल का आयोजन अपने आप में अनूठी पहल है. यहां के युवाओं के लिए दंगल प्रेरणा स्रोत है. जो बच्चे इस विधा में आगे बढ़ना चाहते हैं, उन्हें इन खेलों से सीख लेनी चाहिए ताकि वे भी भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर सकें.

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जब अखाड़े में उतरी लड़कियां, बागेश्वर मेले में हुआ ‘दंगल’



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