Before Manipur there was massacre for reservation in many states including Uttar Pradesh Andhra Haryana Rajasthan Gujarat Know the figures of those who died


मणिपुर हिंसा के दर्द अभी तक लोग भूल नहीं पाए हैं. लेकिन अब सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद दोबारा इसकी चर्चा तेज हो चुकी है. बता दें कि मणिपुर में जातीय हिंसा के करीब 21 महीने बाद सीएम बीरेन सिंह ने बीते रविवार को इस्तीफा दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मणिपुर के अलावा देश में कब और कहां आरक्षण को लेकर कत्लेआम हुआ है. आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे.

मणिपुर हिंसा 

मणिपुर हिंसा के 21 महीने बाद सीएम बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया है. गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. इतना ही नहीं हजारों लोग अपना घर छोड़ने के लिए भी मजबूर हुए थे. लेकिन बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी के बीच झड़पों के लगभग दो साल बाद बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया है. गौरतलब है कि इससे पहले 1993 में भी मणिपुर में हिंसा हुई थी. तब एक दिन में नागाओं की तरफ से 100 से ज्यादा से ज्यादा कुकी समुदाय के लोगों को मार दिया गया था. 

देश में कब-कब हुए हैं आरक्षण के लिए हिंसा

बता दें कि कई बार देश के अलग-अलग राज्यों में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन हुए हैं. पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात में 2015 में पटेल पटेल आरक्षण की मांग हार्दिक पटेल के नेतृत्व में उठी थी. उस दौरान पटेल आरक्षण की अगुवाई कर रहे हार्दिक को पुलिस ने हिरासत में  लिया था. जिसके बाद पटेल समाज के लोगों ने 12 से ज्यादा शहरों में सड़क पर उतर आए थे, इस दौरान उन्होंने तोड़फोड़ और आगजनी करते हुए करीब सवा सौ गाड़ियों में आग लगा दी और 16 थाने जला दिए थे.

बता दें कि 2014 में यूपीए सरकार ने चुनाव से पहले जाट समुदाय को ओबीसी की श्रेणी में शामिल किया था, जिसे बाद में कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसे लेकर 2016 में हरियाणा समेत कई राज्यों में जाट समुदाय के लोग सड़क पर उतर आए थे. जाट आंदोलन में हरियाणा में जमकर हिंसा, आगजनी व तोड़-फोड़ हुई थी. इतना ही नहीं रेलवे बस सेवा पूरी तरह ठप हो गई थी. आंदोलन के दौरान करीब 30 लोगों की जान गई और राज्य को 34 हजार करोड़ रुपये की धनहानि हुई थी.

राजस्थान में 2008 में गुर्जर समुदाय ने भी आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे. उन्होंने कई दिनों तक रेलवे ट्रैक को जाम करके रखा था. बता दें कि 2008 में गुर्जर आंदोलनकारियों पर पुलिस की

गोलीबारी की वजह से हिंसा भड़क गई थी, इस दौरान 20 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2015 में एक बार फिर गुर्जर समुदाय के लोग सड़क पर उतरे और रेलवे ट्रैक पर कब्जा किया था, इस दौरान उन्होंने पटरियां उखाड़ीं व आगजनी की, जिससे 200 करोड़ का नुकसान हुआ था.

बता दें कि आंध्र प्रदेश के कापू समुदाय ने भी 2016 में ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किए थे. उस दौरान राज्य के पूर्वी गोदावरी जिले में प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने रत्नाचल एक्सप्रेस के चार डिब्बों समेत दो पुलिस थानों को आग के हवाले कर दिया था.

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