Belaganj Upchunav 2024: ‘हकमारी जो भी हो, घाटा RJD को’, बेला में इस बार कांटे का मुकाबला…


गया/जहानाबाद : बिहार में चार सीटों पर उपचुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. बेलागंज विधानसभा सीट पर भी हलचल तेज है. इस सीट पर राजद से सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह, जेडीयू से मनोरमा देवी और जन सुराज से खिलाफत हुसैन को टिकट दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि जन सुराज की एंट्री के बाद इस सीट पर मुकाबला कड़ा गया है. बात जातीय समीकरण की करें तो इस बार की लड़ाई में दो यादव कैंडिडेट और एक मुस्लिम समुदाय के हैं. यहां का सियासी समीकरण समझने के लिए लोकल 18 की टीम ने बेलागंज विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय पत्रकारों से बात की.

‘जो भी हकमारी होगा, राजद को ही घाटा होगा’ 
पत्रकार राकेश कुमार बताते हैं कि यहां चुनावी डुगडुगी बज चुकी है. नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. तीन बड़ी पार्टी ने अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं. दो पार्टी से यादव कैंडिडेट और एक मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवार इस बार मैदान में हैं, जो परंपरागत राजद के वोटबैंक से जुड़े हुए हैं. यहां के चुनाव की स्थिति वोटों के विभाजन के ऊपर निर्भर कर रहा कि कौन पार्टी, किसमें कितना सेंधमारी करती है. अगर ऐसा हुआ तो जो भी हकमारी होगा, उसमें राजद को ही घाटा होगा. चूंकि राजद का MY समीकरण में तोड़ जोड़ होने वाला है, लेकिन फिर भी उम्मीद है क्योंकि 33 सालों से सुरेंद्र यादव बेलागंज से जुड़े रहे हैं. यहां का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. उनका व्यक्तिगत तौर पर इस क्षेत्र में प्रभाव रहा है. इस चुनाव में सुरेंद्र यादव के व्यक्तित्व की भी परीक्षा होने जा रही है.

‘इस बार उलट पलट की स्थिति’ 
वहीं, एक और स्थानीय पत्रकार प्रभात कुमार मिश्रा बताते हैं कि यहां पर 30 सालों से MY समीकरण ही बनते आ रहा है. इसके चलते राजद का इस विधानसभा सीट पर दबदबा रहा है. आज तक राजद की जीत का मुख्य कारण MY समीकरण ही है, लेकिन आज की मौजूदा स्थिति गड़बड़ाई हुई है. इसका कारण M में भी सेंध और Y में भी सेंध लग चुकी है. यहां से जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी के पति का यादव समाज में पकड़ रही है. इसका असर इस बार चुनाव में देखने को मिल सकता है. यहां उलट पलट की स्थिति इस बार बन रही है. हालांकि, एक बात देखी जाए तो खुद 30 साल से जो एक सीट पर अपने जीत का परचम लहरा रहे हैं.

‘यहां मुकाबला त्रिकोणीय होगा’ 
उन्होंने कहा कि उनका भी अपना इस क्षेत्र के लोगों से संबंध अच्छा रहा होगा. बेला सीट की स्थिति विकास से हटकर है. यहां का समीकरण सब कुछ जाति पर निर्भर करता है. यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर काशी प्रसाद यादव के चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा है. उनका दलित और महादलित समाज पर अच्छी पकड़ है. वो जितना भी वोट काटेंगे वह एनडीए को नुकसान करेगा.

एक अन्य स्थानीय पत्रकार ने बताया कि इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है. यहां मुकाबला कड़ा होने वाला है. ये बिहार की हॉट सीट मानी जा रही है. इस बार मनोरमा देवी के आने से बेला सीट पर जेडीयू की पकड़ अच्छी हो गई है. इसके पहले वाले चुनाव में अभय कुशवाहा को टिकट दिया गया था. उससे उतना प्रभाव नहीं पड़ा. हालांकि, जब से मनोरमा देवी को एनडीए ने उम्मीदवार बनाया है तब से कड़ा मुकाबला हो गया है.

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