Bhojpur News: महिला ने लाखों का पैकेज छोड़ शुरु किया ऐसा काम, जिसने सुना, वही चौंका!
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Bhojpur News: आज हम आपको बिहार के भोजपुर की ऐसी महिला के बारे में बताते हैं, जिन्होंने लाखों रुपए का पैकेज छोड़ कर ऐसा काम शुरु किया है जिससे आप भी चौंक जाएंगे.
हाइलाइट्स
- सोनाली सिंह ने लाखों का पैकेज छोड़ समाजसेवा शुरू की.
- एक महीने में 1 लाख से ज्यादा कंबल बांटे.
- उनका महिलाओं और बच्चों को जागरूक करने का लक्ष्य.
भोजपुर:- बिहार के भोजपुर जिले से एक ऐसी महिला सामने आई है जिसने एक महीने के अंदर एक-दो हजार नहीं बल्कि एक लाख से ज्यादा जरूरतमंदों के बीच कंबल बांटकर उन्हें ठंड से राहत दिलाई है. ये महिला मूल रूप से कोइलवर प्रखंड के धनडीहा गांव की रहने वाली पुंज सिंह की पुत्री सोनाली सिंह है. इन्होंने बीटेक कर बड़ी कंपनी में जॉब की, जहां इनका लाखों का पैकेज था, लेकिन समाजसेवा का इन पर ऐसा भूत सवार हुआ कि जॉब छोड़ अपने गृह जिले में आ गईं और लगातार लोगों के बीच जाकर कई प्रकार से उनकी मदद कर रही हैं.
दरसल सोनाली सिंह के दादाजी स्व राम बल्लभ प्रसाद सिंह थे, जो एक बहुत बड़े समाजसेवी व्यक्ति थे. उन्होंने अपने जीवन काल में चार स्कूलों का निर्माण कराया था. पहली बार जिले में कन्या विद्यालय की शुरुआत भी इन्हीं के द्वारा कराई गई थी. अपने स्व. दादा जी को प्रेरणा मान सोनाली सिंह नौकरी छोड़ समाजसेवा करने मैदान में उतर गई हैं. सोनाली सिंह तकरीबन 237 पंचायतों में घर-घर जा गरीब और जरूरतमंद लोगों को ढूंढ कर कंबल दे चुकी हैं. उनसे आंकड़ा पूछा गया तो बताया, कि कोई डेटा नही हैं, लेकिन लगातार एक महीने से वो कंबल बांट रही हैं.
काम करने में नहीं लगा मन
लोकल 18 से बात करते हुए सोनाली सिंह बताती हैं, कि पढ़ाई करने में वो बचपन से अच्छी थीं . शुरू से ही मन था यहां रहकर लोगों की सेवा करने का. बचपन में अपने दादा जी को वो समाज से जुड़े लोगों की मदद करते हुए देखती थीं, लेकिन पढ़ाई के दबाव और पापा की वजह से उन्हें पढ़ाई करने बाहर जाना पड़ा. जयपुर से जा कर बीटेक की, फिर अगरतला में रहकर जॉब की, लेकिन काम करने में ज्यादा मन नहीं लगा और जब खुद के पैर पर खड़ी हुईं, तो अपना फैसला लेते हुए वापस अपने गृह जिला लौट आई.
लोगों को जागरुक करना है
सोनाली सिंह बताती हैं कि मेरा उद्देश्य सिर्फ कंबल वितरण करना नहीं है, बल्कि महिलाओं को उनकी शक्ति को पहचान दिलाना है. छोटे-छोटे बच्चे जो ग्रामीण परिवेश में रहते हैं, उन्हें उनके करियर को ले कर जागरूक करना है. बातचीत के दौरान वो बताती हैं, कि हमारे यहां की ज्यादातर महिला हाउसवाइफ बनकर ही जीवन काट लेती हैं. युवतियों की समय होते ही शादी करा दी जाती है. जबकि इस देश में और दुनिया में महिलाओं के लिए लाखों रोजगार के साधन उपलब्ध हैं. सैकड़ों योजनाएं चलाई जाती हैं. लेकिन जानकारी के अभाव में वो अपने हक को नहीं ले पाती हैं. मेरा अगला लक्ष्य यही है घर-घर जा कर महिलाओं को उनके शक्तियों के बारे में बताऊंगी. युवतियों को योजनाओं और रोजगार से अवगत कराऊंगी.
बच्चों को देंगी करियर से जुड़ी जानकारी
आगे वे कहती हैं, कि स्कूल में उच्च शिक्षा लेने वाले छात्र-छात्राओं को करियर से जुड़ी जानकारी दूंगी. ग्रामीण परिवेश में रहने वाले छात्र और छत्राओं को विभिन्न कोर्स की जानकारी नहीं होती है. आम तौर पर हमारे यहां जनरल कंपटीशन, इंजीनियरिंग और मेडिकल के बारे में ही छात्र जानते और उसमें करियर की तलाश करते हैं, लेकिन इसके अलावा भी सैकड़ों ऐसे विकल्प हैं, जिसमें छात्र-छात्रा अपना करियर बना सकते हैं. ऐसे विकल्प की जानकारी स्कूल और गांवों में जा कर छात्र-छात्राओं को दूंगी ताकि वो अपने क्षेत्र और जिला का नाम रोशन कर सकें. रोजगार पा सकें.
February 07, 2025, 11:02 IST