Bihar News : क्‍या हाजीपुर में विरासत बचा पाएंगे चिराग या राजद का कास्ट फैक्टर करेगा काम


हाजीपुर. विरासत की जंग में अपने चाचा को पटखनी देकर हाजीपुर सीट को अपने पाले में लेकर चिराग पासवान ने पहला मैच तो जीत लिया लेकिन 20 तारीख को होने वाले फाइनल मैच पर पूरे प्रदेश की निगाह टिकी है. चुनावी मैच के फाइनल में इस बार अपने पिता की सीट पर चुनाव लड़ रहे चिराग पासवान के सामने जातीय समीकरण के साथ साथ अपने ही नेताओं के भितरघात की चुनौती है जिससे मुकाबला रोचक हो गया है. तो वहीं महागठबंधन उम्मीदवार शिवचंद्र राम ने बाहरी भीतरी का मुद्दा उठाकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.

हालांकि 1977 से पासवान परिवार के पास रहे इस हाजीपुर सीट पर चिराग पासवान को उनके पिता द्वारा किए गए कार्यो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ मिलने से वह लड़ाई में अभी आगे चल रहे है लेकिन बिहार की राजनीति में जातीय आधारित गोलबंदी को भी नकारा नहीं जा सकता है जिस कारण राजद प्रत्याशी शिवचंद्र राम, चिराग को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. इससे पहले शिवचंद्र राम, रामविलास पासवान और पशुपति कुमार पारस से ही दो-दो हाथ कर चुके है लेकिन इस बार पासवान परिवार के युवराज से उनका सीधा मुकाबला है.

चिराग और शिवचंद्र राम के बीच रोचक मुकाबला
लिहाजा चिराग के सामने जहाँ विरासत को बचाने की चुनौती है तो वहीं शिवचंद्र राम के पास पासवान परिवार से हाजीपुर सीट छिनने का मौका; ऐसे में देखना होगा कि 19 लाख वोटरो में से सबसे अधिक लगभग साढ़े तीन लाख यादव वोटर वाले इस सीट पर जीत किसकी होती है.यहाँ यह जानना भी जरूरी है कि 6 विधानसभा सीट वाले इस लोकसभा क्षेत्र में 4 चार विधानसभा महुआ, महनार, राघोपुर और राजापाकर सीट पर महागठबंधन के कब्जा है जबकि लालगंज और हाजीपुर पर भाजपा का कब्जा है.

पार्टी के नेताओं की बगावत से हो सकती दिक्‍कत
चिराग पासवान के सामने कई चुनौतियां है जिसमें से सबसे पहला है उनके पार्टी के पदाधिकारियों का बगावत जिसमें उनके सबसे करीबी रहे ई.रविन्द्र सिंह, अजय कुशवाहा, रेणु कुशवाहा जैसे लोग शामिल है. हालांकि महनार से राजद विधायक वीणा देवी के पति और पूर्व सांसद बाहुबली रामा सिंह का चिराग के साथ आने का फायदा चिराग को राजपूत वोट दिलाने में मदद कर सकता है.

क्‍या हाजीपुर में विरासत बचा पाएंगे चिराग या राजद का कास्ट फैक्टर करेगा काम

हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र किसकी होगी जीत
बहरहाल दोनों ही दल के नेता अपने-अपने तरीके से जीत का समीकरण तैयार करने में लगे हुए हैं लेकिन विरासत की जंग और बड़े-बड़े चेहरों के पीछे एक चीज जो छुप गया है वह है हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का विकास जिसपर बात करने में दोनों ही गुट में से किसी ने अभी तक दिलचस्पी नहीं दिखाई है. ऐसे में 4 जून को ही पता चलेगा कि हॉट सीट बन चुके हाजीपुर सीट पर जातीय समीकरण की जीत होती है या फिर चिराग विरासत की जंग का फाइनल जीतते हैं.

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