BJP Minority Front Meeting In UP Deoband, 150 Muslim Intellectuals Will Be Given Modi Mitra Certificate – मुस्लिम वोटों के लिए यूपी में बीजेपी का नया दांव, देवबंद में 150 को दिया गया मोदी मित्र का सर्टिफिकेट
लखनऊ (यूपी):
मिशन 2024 को देखते हुए बीजेपी ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों को पाने के लिए नया दांव खेला है. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा राज्य के 65 लोकसभा क्षेत्रों में 3.25 लाख मोदी मित्र बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इन सभी लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है. इसी के मद्देनजर पार्टी ने हर एक विधानसभा में पांच हजार ‘मोदी मित्र’ बनाने का लक्ष्य रखा है.
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बृहस्पतिवार को इसी रणनीति के तहत यूपी के देवबंद में अल्पसंख्यक मोर्चा ने कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमें 150 लोगों को मोदी मित्र का सर्टिफिकेट दिया गया. सर्टिफिकेट लेने वालों में ऐसे मुस्लिम युवा शामिल हैं जिन्होंने आयुष्मान योजना या प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लिया है. ऐसे ही एक युवा जरीन ने NDTV को बताया कि मुझे आयुष्मान योजना बहुत अच्छी लगी, जिसमें कई गरीबों का इलाज होता है. दूसरे युवा मोहम्मद दानिश के मुताबिक देवबंद इलाके में सरकार ने काफी काम किया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस इलाके में पंद्रह सौ मकान बने हैं. उसमें तमाम मुसलमान लाभार्थी भी हैं.
मोदी मित्र के इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के अलावा उप्र के PWD मंत्री और विधायक बिजेंदर सिंह भी मौजूद थे. दरअसल सहारनपुर लोकसभा सीट में देवबंद का ये इलाका आता है.पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां से हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी की कोशिश है कि सहारनपुर लोकसभा जैसी करीब 65 सीटों पर अल्पसंख्यक मोर्चा 3.25 लाख मोदी मित्र बनाकर सियासी तौर पर मजबूती किया जाए.
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बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के मुताबिक कई लोग सरकार और मोदी जी से प्रभावित हैं, लेकिन वो सक्रिय राजनीति में नहीं आते हैं, इसीलिए जो लोग मोदी जी से प्रभावित हैं, उनको हम लोग मोदी मित्र बना रहे हैं.
बीजेपी की कोशिश लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने की जरूर है, लेकिन जानकार कहते हैं कि बीजेपी के कुछ ऐसे नेता हैं, जो वक्त वक्त पर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर उनके अंदर बीजेपी की मंशा को लेकर शंका पैदा कर देते हैं. देखना ये होगा कि अल्पसंख्यंक मोर्चे की इस कोशिश का लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा.
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