BJP Reneges On Promise Of Sixth Schedule, Agitation Will Continue Till Demands Are Met: Sonam Wangchuk – छठी अनुसूची के वादे से मुकरी भाजपा, मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन : सोनम वांगचुक
लेह:
अपने अद्भुत सौंदर्य और मठों के लिए दुनिया भर में विख्यात लेह इस साल मार्च में तब सुर्खियों में आया, जब रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक ने लद्दाख के लिए स्वायत्तता की मांग को लेकर 21 दिन का अनशन किया. सोनम वांगचुक की मांग का हजारों लोगों ने समर्थन किया है. बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म ”3 इडियट्स” में अभिनेता आमिर खान का किरदार रैंचो वांगचुक के जीवन से प्रेरित है. वांगचुक ने 26 मार्च को अपना अनशन खत्म करने के बाद एक धरना शुरू किया था, जिसे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 10 मई को खत्म कर दिया. हालांकि, सरकार ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की प्रदर्शनकारियों की मांग को स्वीकार नहीं किया है.
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वांगचुक ने कहा, ‘‘एक तरफ लद्दाख की जमीन निगमों के पास जा रही है और दूसरी तरफ चीन हमारी हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन पर कब्जा कर रहा है. देश की जनता को हमारा दर्द समझने की जरूरत है. पहाड़ों, ग्लेशियरों और पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए संविधान की छठी अनुसूची आवश्यक है. हालांकि, इसकी आवश्यकता पूरे देश में है, लेकिन पहाड़ अति संवेदनशील हैं. मौजूदा समय का ”इस्तेमाल करो और फेंको” का सिद्धांत, चाहे वह प्लेट हो या नदी अथवा ग्लेशियर… हम इसे लद्दाख या देश के लिए नहीं चाहते हैं. ”
संविधान की छठी अनुसूची में स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) के माध्यम से असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं. एडीसी को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक मामलों पर स्वायत्तता प्रदान की जाती है और वे भूमि, जंगल, जल और कृषि आदि के संबंध में कानून बना सकते हैं. जलवायु कार्यकर्ता ने कहा कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने से यह सुनिश्चित होगा कि कारोबारी घरानों को पहाड़ों के साथ कुछ भी करने से पहले लोगों से पूछना होगा और बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य रुक जाएगा.
वांगचुक ने कहा, ‘‘हमने अनुच्छेद-370 को निरस्त करने का समर्थन किया, क्योंकि लद्दाख को जम्मू-कश्मीर का एक जिला बना दिया गया था. लद्दाख एक राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश बनना चाहता था, जो अनुच्छेद-370 के कारण नहीं हो सका क्योंकि केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती थी. तो लोगों को लगा कि अब लद्दाख का अपना अस्तित्व होगा और इसलिए इसका स्वागत किया गया. ” वांगचुक ने कहा कि इसके साथ ही लद्दाख के पर्यावरण और संवेदनशील पारिस्थितिकी के संरक्षण को लेकर भी चिंता थी.
वांगचुक को उम्मीद है कि नई सरकार लद्दाखियों की मांगों को पूरा करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो हमें बहुत उम्मीदे हैं. अगर भाजपा अपना रुख नहीं बदलती है तो हम उम्मीद करेंगे कि जो लोग लद्दाख की संरक्षण के पक्ष में हैं वे सत्ता में आएं.” अगर जरूरत पड़ी तो वांगचुक लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हैं. लद्दाख में लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा.